यह हमारे जीव कोषों की, अंग-अवयवों की आयु वृद्धि भी करती है और असमय बुढ़ापा आने से रोकती है।
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“मासूमियत का ह्रास” एक सामान्य संकल्पना है और प्राय: इसे आयु वृद्धि के अभिन्न अंश के रूप में देखा जाता है.
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महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से आयु वृद्धि और आयु पर आए हुए संकट को टालने के लिए की जाती है।
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महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से आयु वृद्धि और आयु पर आए हुए संकट को टालने के लिए की जाती है।
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किन्तु आयु वृद्धि के साथ भी यदि व्यक्ति सामाजिक दायित्वों की अवहेलना करता है तो उसका अपराध अक्षम्य होता है.
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“मासूमियत का ह्रास” एक सामान्य संकल्पना है और प्राय: इसे आयु वृद्धि के अभिन्न अंश के रूप में देखा जाता है.
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अष्टमुखी रूद्राक्ष (आयु वृद्धि के लिए) यह रूद्राक्ष गणेश जी का स्वरूप है वटुक भैरव का स्वरूप माना जाता है।
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बौद्ध धर्मावलियों के अनुसार बहुत कम अवसरों पर अवतारी लामाओं की आयु वृद्धि के लिए इस प्रकार के आयोजन किये जाते हैं।
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जप से पूर्व कवच का पाठ भी किया जा सकता है, या नित्य पाठ करने से आयु वृद्धि के साथ रोग से छुटकारा मिलता है।
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इसलिए कृषि रक्षा, दुर्गरक्षा, रोग निवारण, संततिलाभ, शत्रु विनाश, आयु वृद्धि आदि के हेतु मंत्र प्रयोग, जादू-टोना, मुहूर्त और मणि का भी प्रयोग प्रचलित था।