अपने गन्तव्य-पथ में नितांत अकेला चलता रहा सपनों के बीच नई आकांक्षाओं के साथ पलता रहा याद किया अतीत के टूट सम्बन्धों को मन से जुड़े मन के अनुबंधों को जीवन-समुद्र में दुख सुख की उर्मियों का आलोडन अजस्त्र-प्रवाल-सैलाब में मचलता रहा अगाध अनन्त के बीच कई बार
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तीसरे, डा चपाल सिंह ने राीय शिक्षा आदोलन पर डाटरेट ली, बिटिश जनगणना नीति का उसके मूल ाेतों में अययन किया, शहीद भगत सिंह से सबधित समत ाेतों आर परवर्ती लेखन का गहन आलोडन करके उनको मासवादी विचारधारा में रगने के वामपथी यासों को पूरी तरह बेनकाब कर दिया।
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क्षण में प्रेम अगाध, सिन्धु हो जैसे आलोडन में और पुनः वह शान्ति, नहीं जब पत्ते भी हिलते हैं अभी दृष्टि युग-युग के परिचय से उत्फुल्ल हरी सी और अभी यह भाव, गोद में पडी हुई मैं जैसे युवती नारी नहीं, प्रार्थना की कोई कविता हूँ.
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कभी-कभी लगता है, तुमसे जो कुछ भी कहती हूँ आशय उसका नहीं, शब्द केवल मेरे सुनते हो क्षण में प्रेम अगाध, सिन्धु हो जैसे आलोडन में और पुनः वह शान्ति, नहीं जब पत्ते भी हिलते हैं अभी दृष्टि युग-युग के परिचय से उत्फुल्ल हरी सी और अभी यह भाव, गोद में पडी हुई मैं जैसे युवती नारी नहीं, प्रार्थना की कोई कविता हूँ.
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गांव स्तर पर कोई आलोडन इसलिए नहीं होता कि वहां गरीब प्रधान और उसके समुदाय के लोग अव्यक्त तौर पर सवाल करते हैं कि जब तक आप ही आपके हाथ में सभी स्तरों की सत्ता थी और तब आप प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक पर भ्रष्टाचार का परनाला बहा रहे थे तो कोई आपत्ति न थी अब हम जबकि जरूरतमंद हैं यह लाभ उठा रहे हैं तो आपके पेट में मरोड़ हो रही है।
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अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय में जो आन्तरिक हलचलें चल रही हैं, दलित-पिछड़ी जातियों की जो नयी सरगर्मी खड़ी हो रही है, महिलाओं के अन्दर जो नया आलोडन हो रहा है, उन नये उदितमान तत्वों से रिश्ता कायम करने के बजाय, कमसे कम इस परिघटना को देखने के बजाय सेक्युलर कहे जानेवाली ताकतों के रिश्ते भी उन्हीं तत्वों के साथ बनते हैं जो अपने आप को समूचे अल्पसंख्यक समुदाय का रहनुमा बताते हैं और समुदाय के अन्तर्गत किसी किस्म की दरार से इन्कार करते हैं।
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हिंद स्वराज “ | देश और काल के ऊपर की यात्रा को अनंत यात्रा कहते हैं | अंदर के आलोडन के प्रकटीकरण को गाँधी ने हिंद स्वराज का स्वरुप दिया था | उस स्वरुप को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में रखने वाले ” हिंद स्वराज की अनंत यात्रा “ के अगले संस्करण की समाज को आवश्यकता है | भारत की सुप्त आत्मा को अंदर से जगाने का उपकरण है हिंद स्वराज | और यही कारण है कि गाँधी की मूल पुस्तक ” हिंद स्वराज ” आज सौ साल बाद पुनर्जन्म हो रहा है |