भू-धाराओं के घटकों के औसत दैनिक विचरणों में शुद्ध ज्या तरंग से मिलते जुलते एक वक्र का अंतर होता है, जिसका आवर्तकाल (
32.
उदाहरण के लिये यदि आयाम θ = 23° हो तो आवर्तकाल का मान समीकरण (1) से प्राप्त मान से लगभग १% अधिक होगा।
33.
यदि लोलक का आयाम कम हो तो इसका आवर्तकाल आयाम पर निर्भर नहीं करता बल्कि केवल लोलक की लम्बाई और गुरुत्वजनित त्वरण के स्थानीय मान पर निर्भर होता है।
34.
किसी आवर्ती फलन के लिये सम्पूर्ण समय पर निकाला गया RMS का मान उस फलन के एक आवर्तकाल के लिये निकाले गये RMS के मान के बराबर ही होगा।
35.
भू-धाराओं के घटकों के औसत दैनिक विचरणों में शुद्ध ज्या तरंग से मिलते जुलते एक वक्र का अंतर होता है, जिसका आवर्तकाल (period) एक दिन के बराबर होता है।
36.
यदि T1और T2 क्रमश: दोनों क्षुरधारों से दोलन कराने पर आवर्तकाल हों और I1 तथा I2 उन क्षुरधारों की छड़ के गुरुत्वकेंद्र से दूरियाँ हों तो बेसेल (Bessel) के अनुसार
37.
उदाहरण के लिये तरंग के किसी बिन्दु की कला ३० डिग्री होने का अर्थ है कि वह बिन्दु संदर्भ बिन्दु से ३० / ३६० = १/१२ आवर्तकाल की दूरी पर स्थित है।
38.
अर्थात यदि पहली धारा का अधिकतम बिंदु 0 (शून्य) समय पर आता है तो दूसरी का T/3 पर और तीसरी का 2T/3 समय पर; जहां प्रत्यावर्ती धारा का आवर्तकाल है.
39.
कई बार आता है जेहन में कि वक्त को अंगूठा दिखा दूँ टाँग दूँ अपनी ज़िंदगी पेंडुलम कि तरह और आवर्तकाल मापूँ पर घडी की जरुरत तो उसमें भी पड़ेगी।
40.
प्रत्यावर्ती धाराजनित्र से उत्पादित वोल्टता (voltage) आदि भौतिकी फलन ऐसे अवयवों के योगफल के रूप में निरूपित किए जा सकते हैं जिनके सभी आवर्तकाल केवल एक मूलभूत आवर्तकाल के अपवर्तक हैं।