| 31. | सच्चा आशिक़ सब्र के सागर में रहता,
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| 32. | होंगे आशिक़ कई जो सहते जुल्म-ओ-सितम तुम्हारे
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| 33. | मुझे तमीज़ सिखाओ, मैं इक आशिक़ हूँ
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| 34. | आशिक़ बनकर जिया हूँ मैं, आशिक़ बनकर मर जाऊँगा,
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| 35. | आशिक़ बनकर जिया हूँ मैं, आशिक़ बनकर मर जाऊँगा,
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| 36. | बतौर सूई अपने आशिक़ के ख़तों का मुख़्तियार बनाइये||
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| 37. | (हिरणी) की चीख़ या आशिक़ (प्रेमी) और माशूक़ (प्रेमिका)
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| 38. | दिल के दीवारों की, आशिक़ को नसीहत
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| 39. | बोला वो आशिक़ कि तुम हाज़िर तो यहाँ पर
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| 40. | जिस की क़िस्मत में हो आशिक़ का गरेबां होना,
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