कारण: अविवेकपूर्ण मानवीय गतिविधियों (यथा नदियों में अत्यधिक घुसपैठ तथा विदोहन) के कारण इनके प्राकृतवास (Habitat) का सिमटना एवं उसमें गुणात्मक ह्रास (यथा आहार, जल एवं शांत आश्रय-स्थल कि कमी होना), चमड़ा के लिए शिकार तथा मानव-हित से टकराव (यथा जान-माल की क्षति आदि) के कारण हत्या.
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वह रात उन दोनों ने एक आश्रय-स्थल (सराय) में व्यतीत की | वहां उन्होंने ब्राह्मणों का वेश धारण किया और यज्ञस्वामी के घर की ओर चल पड़े | दोनों यज्ञस्वामी के घर के बाहर पहुंचे और उसके दरवाजे से कुछ हटकर बैठ गए | वहां उन्होंने जोर-जोर से वेद के श्लोकों का उच्चारण करना आरंभ कर दिया |
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कारण: अविवेकपूर्ण मानवीय गतिविधियों (यथा वनों की अत्यधिक कटाई, चराई, वनभूमि का अन्य प्रयोजनों हेतु उपयोग आदि) के कारण इनके प्राकृतवास (Habitat) का सिमटना एवं गुणात्मक ह्रास (यथा आहार, जल एवं शांत आश्रय-स्थल की कमी होना), घरेलू पक्षियों-मुर्गी, बतख, हँस आदि को क्षति के कारण इनकी हत्या ।
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क्यों मनुष्यों-मवेशियों पर हमले करता था?, क्या उसे अपनी जान प्यारी न थी? आबादी बढ़ने से आवासीय-मानव-बस्तियां जंगल लील रही हैं जिससे इनका आश्रय-स्थल, स्वतंत्र-विचरण-भोजन-पर्यावरण-चक्र बहुत बुरी तरह प्रभावित हो रहा है | मनुष्य जब भूखा होता है तो उसे सिर्फ खाना दिखाई देता हैऔर एक प्रकार से यह उसे सहज ही उपलब्ध होता है
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प्रकृति में संरक्षण स्थिति: संकटापन्न (Endangered) ; कारण: अविवेकपूर्ण मानवीय गतिविधियों (यथा वनों की अत्यधिक कटाई, चराई, वनभूमि का अन्य प्रयोजन हेतु उपयोग) के कारण इनके प्राकृतवास (Habitat) का सिमटना एवं उसमें गुणात्मक ह्रास (यथा आहार, जल एवं शांत आश्रय-स्थल कि कमी होना), सींग के लिए हत्या आदि।
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कारण: अविवेकपूर्ण मानवीय गतिविधियों (यथा वनों की अत्यधिक कटाई, चराई, वनभूमि का अन्य प्रयोजन हेतु उपयोग) के कारण इनके प्राकृतवास (Habitat) का सिमटना एवं उसमें गुणात्मक ह्रास (यथा आहार, जल एवं शांत आश्रय-स्थल कि कमी होना), आहार-जल की तलाश में बाहर निकलने पर मानव-हीत से टकराव (यथा जान-माल की क्षति) के कारण हत्या, हाथी दाँत के लिए टस्करों की हत्या आदि।
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इसलिए इससे पहले कि बैठे-ठाले के इस व्यवसाय के कारण देश की अर्थव्यवस्था का संतुलन बिगड़ जाए, हमें भिक्षावृत्ति की इस कुरीति को समाप्त करने के उपाय ढूँढने शुरू कर देने चाहि ए.प ूरी तरह से लाचार अपंगों और सही जरुरतमंदों के लिए आश्रय-स्थल बने और लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर मुफ्त की रोटी तोड़नेवालों को काम पर लगाया जा ए.स ाथ ही भिखारियों में जो नशे के लती बन गए हैं उनका नशामुक्ति केन्द्रों में ईलाज कराया जा ए.