सबसे पहले दिल्ली के एक मंदिर में इस खबर पर मोहर लगाई की हांजी आज भगवान् दूध पि रहे है, बस फिर क्या था चाँद ही मिनटों में ये खबर भारत के कोने कोने फ़ैल गयी और लोग अंधे होकर हाथो में दूध का लोटा लेकर मंदिरों में इकठ्ठा होना शुरू हो गए.
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आय से अधिक मामले में इनकम टैक्स के छापे में नामजद हुए एक आई ए एस अधिकारी के कथित समर्थन में आई ए एस अधिकारी असोसिएसन का इकठ्ठा होना और इनकम टैक्स विभाग पर “ दबाब ” बनाने की कोशिश करना, एक दुर्भाग्यजनक गिरोहबंदी का आभास देता है-और अनेक जरूरी सवाल खड़े करता है।
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इस प्रकार के इनफ्लेमेशन से श्वांस नलियों की दिवारों में सूजन आना म्यूकस (बलगम या खंखार) का इकठ्ठा होना व इन सब प्रक्रियाओं के साथ साथ श्वांस नलियों की मांस पेशियों मंे तनाव उत्पन्न होने से श्वांस नली का छिद्र छोटा हो जाता हैं एवं श्वांस लेने एवं निकालने में कठिनाई का अनुभव होता है।
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जबतक अल्कलीज खान-पान शरीर में यूरिक एसिड को प्रभावी होने नहीं देते है तबतक तो कोई बात नहीं, पर किसी कारणबश शरीर में यूरिक एसिड अतिरिक्त बनने लगते है तो अंत में यह जोड़ों के बिच में जाकर हड्डियों या पेशियों पर इकठ्ठा होना शुरू जो जता है, तो मस्क्युलर आथ्राईटीस के रूप में जाना जाता है |
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अभी रास्ते में ही था कि मोबाईल पर Youth Against Correuption के जयपुर जिला संयोजक श्री सुरेन्द्र चतुर्वेदी जी का सन्देश मिला | उन्होंने बताया कि आज शाम पांच बजे जयपुर के स्टेच्यु सर्किल पर काले दिवस के रूप में आज इकठ्ठा होना है | यहाँ पर आगे की रणनीति तय की जाएगी | अत: मुझे भी वहां उपस्थित होना है |
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इनकी लगन काम भी आ रही है तभी तो नटखट शबाब आलम, अनस, सीमा, माहजबीं, आदिल, नाजनीन, आफरीन, सहनूर बालश्रम केन्द्र-71 में पहली कक्षा में भरती हुए हैं और नियमित रूप से स्कूल जा रहे हैं यह पूछने पर कि आज (18 अक्टूबर) क्यों नहीं गये स्कूल सबाब बताता है कि यहां इकठ्ठा होना था ना! स्कूल में उसे मजा आता है।
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* बर्बर-The Barbarians (Round Two) व्यर्थ नही था कि हमने जंगलियों का इंतजार किया शहर के चौक पर इकठ्ठा होना भी व्यर्थ नही था व्यर्थ नही था कि हमारे महान लोगों ने सरकारी पौशाक पहन ली और फिर खास मौके के लिये भाषणों का अभ्यास किया व्यर्थ नही था कि हमने अपने मन्दिर तोड़ दिये और नयों को उनका खुदा बना दिया बिल्कुल वैसे ही जैसे कि अपनी किताबें जलाना जिसमे उन जैसे मनुष्यों के लिए कुछ नही था जैसी कि भविष्यवाणी थी बर्बर आये और राजा से शहर की चाबी ले ली
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टे क. के दूसरे और तीसरे वर्ष में पहुँच गए बच्चों में अभी भी बचपना बचा हुआ है, चश्मे-बद्दूर! वही बचपन सी धमाचौकड़ी, शरारतें और खिलखिलाती आवाजें मकान को घर की गरिमा दे रहीं हैं | पर अब उनके वापस जाने के दिन जैसे-जैसे पास आ रहें हैं मन आने वाले अकेलेपन के बारे में सोच कर घबराता भी है | फिर खुद से खुद को ही तसल्ली भी देती हूँ कि ये इकठ्ठा होना अलग होने के लिए ही था और अब अलग होना भी फिर अगली छुट्टियों में इकठ्ठा होने के लिए है |