फिर यह जगत महज़ इत्तिफ़ाक़ से बन गया तो क्या घटनाएं अनिवार्य रूप से वही रुख़ एख़्तियार करने पर मजबूर थीं, जो उन्होंने एख़्तियार किया?
32.
लोगों ने तफ़रिक़ा पर्दाज़ी पर तो इत्तिफ़ाक़ कर लिया है और जमाअत से कट गए हैं, गोया कि वह किताब के पेशवा हैं किताब उन की पेशवा नहीं।
33.
वर्चुअल लाइफ के लोग इतनेकरीबी भी हो सकते हैं पहली बार जाना है...और ऐसा कैसा इत्तिफ़ाक़ है कि सब अच्छे लोगहैं...अब इतने बड़े स्टेटमेंट के बाद नाम तो लेना होगा
34.
हम सबको अपनी-अपनी बात पब्लिक स्पेस में आकर रखने का हक़ है, और एक पाठक को उस विचार से इत्तिफ़ाक़ रखने या उसे सिरे से ख़ारिज़ कर देने का हक़ है।
35.
मैंने चाहा था कि ये साथ न छूटे लेकिन सफ़र के बीच में ही साथ अपना छूट गया मैं इत्तिफ़ाक़ कहूँ या फिर कोई मजबूरी सच तो ये है कि हाथ अपना छूट गया
36.
कुछ आपकी और मेरी जन्मपत्री भी मिलती जुलती ही होगी, किसी से ख्याल मिल जाएँ तो इत्तिफाक हो सकता है लेकिन उससे भी ज्यादा मिल जाए तो इत्तिफ़ाक़ के भी परे कुछ होगा।
37.
सवाल यह है कि जब सृष्टि में सिर्फ़ एक गतिहीन पदार्थ था, उसके सिवा यहाँ कोई और चीज़ मौजूद न थी तो यह अजीबो-ग़रीब इत्तिफ़ाक़ कहां से आ गया, जिसने पूरी सृष्टि को गति दे दी।
38.
सवाल यह है कि जब सृष्टि में सिर्फ़ एक गतिहीन पदार्थ था, उसके सिवा यहाँ कोई और चीज़ मौजूद न थी तो यह अजीबो-ग़रीब इत्तिफ़ाक़ कहां से आ गया, जिसने पूरी सृष्टि को गति दे दी।
39.
(6) सब से पहले इस का इस्तेमाल (प्रयोग) हकीमे अरब (अरब दार्शनिक) अक़्सम इब्ने सैफ़ी ने अपने बच्चों को इत्तिहादो इत्तिफ़ाक़ की तअलीम (संगठन एंव एकता की शिक्षा) देते हुए किया।
40.
लिहाज़ा इसके मद्देनज़र कि मक़तूल एक पण्डित था और क़दीम अदब का बहुत शौकीन था, यह बिला शक तस्लीम किया जा सकता था कि यह एक इत्तिफ़ाक़ ही है कि मक़तूल अपने क़त्ल के वक़्त यह किताब पढ़ रहा था;