आम आदमी की क्षमता से बाहर होती अति महँगीस्कूली व उच्च औपचारिक शिक्षा व इसकी उद्देश्यहीनता व खोखलेपन पर टिप्पड़ी करते हुये उन्होंने कहा-आर्थिक दृष्टिकोण से हमारे कालेज व युनिवरसीटी की शिक्षा का अनुभव इसी प्रकार का है जैसे हर वर्ष एक नयी कैडिलक कार खरीदें फिर उसे किसी पहाड़की चोटी से गहरी खाईं में ड्राइव करके गिरने व तहस-नहस होने दें।