वाणिज्य एवं उद्योग निदेशालय की प्रमुख जिम्मेदारी देश में औद्योगिक विकास और इसके लिए जरूरी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना तथा उद्योगों में पूंजी निवेश को प्रोत्साहित करना है।
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वाणिज्य एवं उद्योग निदेशालय की प्रमुख जिम्मेदारी देश में औद्योगिक विकास और इसके लिए जरूरी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना तथा उद्योगों में पूंजी निवेश को प्रोत्साहित करना है।
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लघु / अनुषंगी क्षेत्र (अति लघु कुटीर/ग्रामीण उद्योग और औद्योगिक सहकारिताओं सहित), जिसके पास 1 अप्रैल, 1995 को अथवा उसके बाद उद्योग निदेशालय द्वारा जारी स्थाई पंजीकरण प्रमाणपत्र है अथवा,
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गौरतलब है कि लघु उद्योग निदेशालय प्रदेश की 4000 से ज्यादा छोटी और मझोली इकाइयों को स्टील खरीद कर सस्ती दरों पर कच्चे माल की आपूर्ति करता है।
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कुटीर और लघु उद्योग निदेशालय के जिला उद्योग केंद्र के अंतर्गत अनंतिम / अस्थाई/स्थाई/अंतिम रूप से पंजीकृत कोई कुटीर एवं लघु उद्योग उपक्रम (औद्योगिक सहकारिताओं, अति लघु और लघु सेवा तथा व्यवसाय सहित)।
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राज्य संगठन की सहायता करते हैंराज्य स्तर पर उद्योग निदेशालय, राज्य लघु उद्योग विकास निगम तथा राज्य वित्तनिगम, भूमि, सायबान, बिजली, मशीनरी, कच्चा-माल आदि प्राप्त करने में लघुइकाइयों की सहायता करते हैं.
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उद्योग निदेशालय के दफ्तर में इस ऑनलाइन प्रक्रिया का शुभारंभ करते हुए उद्योग मंत्री हरीश दुर्गापाल ने कहा कि पहाड़ों से पलायन रोकने के लिए हमें छोटे उद्यमियों पर खास फोकस करना होगा।
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“ कार्यानुभव एवं उद्यमिता विकास ” नामक यह पाठ्य पुस्तक राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद नरेन्द्र नगर द्वारा देव संस्कृति एवं गढ़वाल विश्वविद्यालय, इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड एवं उद्योग निदेशालय के सहयोग से तैयार की गई।
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“पात्र इकाई” से तात्पर्य बड़े / मध्यम/लघु क्षेत्र में एक इकाई से है जिसके पास उद्योग निदेशालय द्वारा जारी पंजीकरण प्रमाणपत्र और डब्ल्यू.बी.आई.डी.सी. द्वारा जारी पात्रता प्रमाणपत्र अथवा जिला उद्योग केंद्र द्वारा जारी पंजीकरण प्रमाणपत्र, जो भी मामला है, है।
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इन योजनाओं / परियोजनाओं का निष्पादन राज्य उद्योग निदेशालय, के माध्यम से किया जाता है जिनके पास जिला उद्योग केन्द्र (डीआईसी) होते हैं और उनके तहत केन्द्र / राज्य स्तर की योजनाओं का कार्यान्वयन किया जाता है।