| 31. | के प्रौढ़ों की रचना बहुत भिन्न होती हैं, किंतु इसके डिंभ द्विपक्ष के उपगण निमेटोसेरा (
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| 32. | इस उपगण में कम से कम २०० जातियों तथा लगभग ७०० जातों के कृंतक आते हैं।
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| 33. | इस उपगण में कम से कम २०० जातियों तथा लगभग ७०० जातों के कृंतक आते हैं।
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| 34. | इस उपगण के प्राणी विलग्नांगुल होते हैं तथा इनके कपोल दाँत विभिन्न प्रकार के होते हैं।
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| 35. | यही नहीं, इस उपगण में कृंतकों के कुछ ऐसे वंश भी आते हैं जिनके संबंधसादृश्य अनिश्चित हैं।
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| 36. | 2. कवक-यह पर्णरहित रहित पादप का सर्वप्रमुख गण है, जिसके तीन मुख्य उपगण हैं:
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| 37. | यही नहीं, इस उपगण में कृंतकों के कुछ ऐसे वंश भी आते हैं जिनके संबंधसादृश्य अनिश्चित हैं।
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| 38. | इस उपगण की लाक्षणिक विशेषताएँ ये हैं: एक तो इनके ऊपरी जबड़े में दो चवर्णदंत (
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| 39. | मिस्कोफ़ेगा उपगण में अधिकांश संदेहजनक स्थिति की जातियाँ हैं जिनको चार छोटे वंशों में रखा जाता है-लेपिसेरिडी (
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| 40. | इस उपगण के प्राणियों के अग्र पाद छोटे होते हैं और सब पैर चप्पू के आकार के होते हैं।
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