उपरोक्त परिचय के आधार पर अगर हम, ब्रह्माण्ड शब्द एवं इसके उपशब्दों, दोनों के ही अर्थों पर ध्यान देते हुए इनके अर्थों का तुलनात्मक अध्ययन करें, तो तुलनात्मक अध्ययन के उपरान्त हिन्दी जगत का सबसे जटिल प्रश्न, जो चुनौती के रुप में समस्त हिन्दी विद्वानों के समक्ष प्रस्तुत होता है कि-“क्या वास्तव में ये सभी उपशब्द ब्रह्माण्ड शब्द के ही जीवन रक्षक उपशब्द हैं या यथार्थ में किसी अन्य शब्द के?”
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उपरोक्त परिचय के आधार पर अगर हम, ब्रह्माण्ड शब्द एवं इसके उपशब्दों, दोनों के ही अर्थों पर ध्यान देते हुए इनके अर्थों का तुलनात्मक अध्ययन करें, तो तुलनात्मक अध्ययन के उपरान्त हिन्दी जगत का सबसे जटिल प्रश्न, जो चुनौती के रुप में समस्त हिन्दी विद्वानों के समक्ष प्रस्तुत होता है कि-“क्या वास्तव में ये सभी उपशब्द ब्रह्माण्ड शब्द के ही जीवन रक्षक उपशब्द हैं या यथार्थ में किसी अन्य शब्द के?”
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उपरोक्त परिचय के आधार पर अगर हम, ब्रह्माण्ड शब्द एवं इसके उपशब्दों, दोनों के ही अर्थों पर ध्यान देते हुए इनके अर्थों का तुलनात्मक अध्ययन करें, तो तुलनात्मक अध्ययन के उपरान्त हिन्दी जगत का सबसे जटिल प्रश्न, जो चुनौती के रुप में समस्त हिन्दी विद्वानों के समक्ष प्रस्तुत होता है कि-“क्या वास्तव में ये सभी उपशब्द ब्रह्माण्ड शब्द के ही जीवन रक्षक उपशब्द हैं या यथार्थ में किसी अन्य शब्द के?”
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ब्रह्माण्ड शब्द और इसके उपशब्दों पर हिन्दी भाषा (प्रस्तुत खोज में हिन्दी भाषा को भारत की समस्त भाषाओं के प्रतिनिधि के रुप प्रस्तुत में किया जा रहा है) के व्याकरण के दृष्तिकोंण से अगर थोड़ा सा भी ध्यान दिया जाए तो स्वतः ही स्पष्ट हो जात्ता है कि वास्तव में ये सभी अलंकृत उपशब्द, ब्रह्माण्ड शब्द को अलंकृत ना करके एक अन्य भाषा अंग्रेजी, के शब्द यूनवर्स को अलंकृत करते हैं।
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उपरोक्त परिचय के आधार पर अगर हम, ब्रह्माण्ड शब्द एवं इसके उपशब्दों, दोनों के ही अर्थों पर ध्यान देते हुए इनके अर्थों का तुलनात्मक अध्ययन करें, तो तुलनात्मक अध्ययन के उपरान्त हिन्दी जगत का सबसे जटिल प्रश्न, जो चुनौती के रुप में समस्त हिन्दी विद्वानों के समक्ष प्रस्तुत होता है कि-“ क्या वास्तव में ये सभी उपशब्द ब्रह्माण्ड शब्द के ही जीवन रक्षक उपशब्द हैं या यथार्थ में किसी अन्य शब्द के? ”
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उपरोक्त परिचय के आधार पर अगर हम, ब्रह्माण्ड शब्द एवं इसके उपशब्दों, दोनों के ही अर्थों पर ध्यान देते हुए इनके अर्थों का तुलनात्मक अध्ययन करें, तो तुलनात्मक अध्ययन के उपरान्त हिन्दी जगत का सबसे जटिल प्रश्न, जो चुनौती के रुप में समस्त हिन्दी विद्वानों के समक्ष प्रस्तुत होता है कि-“ क्या वास्तव में ये सभी उपशब्द ब्रह्माण्ड शब्द के ही जीवन रक्षक उपशब्द हैं या यथार्थ में किसी अन्य शब्द के? ”