आगामी पंचायत और निकाय चुनाव में साकेत बहुगुणा अपने को लाख अलग रखने की चेष्टा करें, किंतु जिन कार्यकर्ताओं ने लोकसभा उपचुनाव में तन, मन, धन से उनका साथ दिया है, उनको उपेक्षित करना साकेत के लिए समस्या खड़ी कर सकता है।
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जिन लोगों को आर्थिक या राजनैतिक कामों में पूरी तरह से योगदान देने से निकल दिया जाता है, जैसे की महिलायें, वे एक संस्था, समुदाय या समाज के निर्माण में एक मूल्यवान साधन हैं जिन्हें न तो उपेक्षित करना चाहिए और न ही भूलना चाहि ए. इनके बिना ग़रीबी अधिक होगी.
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लेकिन जेसे जेसे आप का लेख पढता गया, ओर एक एक शव्द पढा, सच मे खो सा गया, आप ने सच लिखा हे यदि वह उसका सम्मान नही कर पायेगा, उसके स्नेह को नही समझ पायेगा, उसे प्रताडित करना, उपेक्षित करना अधिकार मानने लगेगा, तो राजा हो या रंक जीवन पर्यंत स्नेह और सुख से वंचित ही रहना पड़ेगा......... बहुत धन्यवाद