उनके संग्रह ' नए इलाक़े में ' की कविताओं में मुझे एक मार्मिक, नए अरुण कमल दिखाई दिए थे लेकिन उसके पहले और बाद के संग्रहों में उनकी कविताएं ' उर्वर प्रदेश ' की सामान् य अच् छी ज़मीन की ही लगती हैं.
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इस कविता ने उदय प्रकाश को कीर्ति और यश दिया और वे आज हिन्दी कविता के उर्वर प्रदेश में सर्वाधिक चर्चित-प्रतिष्ठित कवि हैं और निरन्तर नया रच रहे हैं जिससे हमरे समय व समाज की तस्वीर विविधवर्णी छवियों के साथ विद्यमान हो रही है।
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पहले तो वे 1980 में हुए इस चुनाव से अपनी असहमति दर्ज कराते हैं दूसरे अरूण कमल की पुरस्कृहत कविता उर्वर प्रदेश को वे विशिष्ठ ना मान एक सामान्य कविता कहते हैं और अपने समूचे रचना कर्म में वे अरूण कमल को अपनी सामान्यता को पार करते नहीं देख पाते।
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पहले तो वे 1980 में हुए इस चुनाव से अपनी असहमति दर्ज कराते हैं दूसरे अरूण कमल की पुरस्कृहत कविता उर्वर प्रदेश को वे विशिष्ठ ना मान एक सामान्य कविता कहते हैं और अपने समूचे रचना कर्म में वे अरूण कमल को अपनी सामान् यता को पार करते नहीं देख पाते।
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पुष्ट यह कि विष्णु खरे ने तीस वर्षों तक भारतभूषण स्मृति पुरस्कार समिति में रहने के बाद उससे इस्तीफा दे दिया है और अपुष्ट किन्तु अपने आप में अत्यंत अलोकतांत्रिक और दुखद यह कि उर्वर प्रदेश का वह संस्करण जिसमें विष्णु खरे का विवादस्पद लेख छापा गया है, प्रकाशक उसे कुछ स्वनामधन्य लेखकों के दबाव में हटाकर छापने वाले हैं.
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पुष्ट यह कि विष्णु खरे ने तीस वर्षों तक भारतभूषण स्मृति पुरस्कार समिति में रहने के बाद उससे इस्तीफा दे दिया है और अपुष्ट किन्तु अपने आप में अत्यंत अलोकतांत्रिक और दुखद यह कि उर्वर प्रदेश का वह संस्करण जिसमें विष्णु खरे का विवादस्पद लेख छापा गया है, प्रकाशक उसे कुछ स्वनामधन्य लेखकों के दबाव में हटाकर छापने वाले हैं.
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पुष्ट यह कि विष्णु खरे ने तीस वर्षों तक भारतभूषण स्मृति पुरस्कार समिति में रहने के बाद उससे इस्तीफा दे दिया है और अपुष्ट किन्तु अपने आप में अत्यंत अलोकतांत्रिक और दुखद यह कि उर्वर प्रदेश का वह संस्करण जिसमें विष्णु खरे का विवादस्पद लेख छापा गया है, प्रकाशक उसे कुछ स्वनामधन्य लेखकों के दबाव में हटाकर छापने वाले हैं.
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' ' (-` उर्वर प्रदेश ', 1999, पृ 0 64) युवा कवियों के इस तरह के विचारों और ` समकालीन कविता ' से उनकी कविता की मूलभूत भिन्नताओं को रेखांकित करते हुए युवा आलोचक आशुतोष कुमार ने यह मूल्यवान् विश्लेषण प्रस्तुत किया है-`` निस्संदेह समकालीन कविता जीवन के रचनात्मक-सौन्दर्यात्मक संवेगों की खोज और उन्हें कविता में बचाये रखने की कविता थी।
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बेशक, दस वर्ष पहले, जब भारतभूषण अग्रवाल स् मृति पुरस् कार का पहला मुकम्मिल संकलन ' उर्वर प्रदेश ' शीर्षक से प्रकाशित हुआ था, तब उसमें उनकी तत् कालीन ताज़ा रचना ' उस सौंदर्य को देखना दर्पण के लिए एक नया अनुभव था ', जो अपनी गुणवत् ता में ' सपने में... ' से कमतर न थी, भी दी गई थी.
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“हर बेचैन स्त्री तलाशती है घर प्रेम और जाति से अलग अपनी एक ऐसी ज़मीन जो सिर्फ़ उसकी अपनी हो एक उन्मुक्त आकाश जो शब्दों से परे हो” (`नगाड़े की तरह बजते शब्द`-पृष्ठ-०९) लेकिन हिन्दी भाषा-साहित्य की काव्यभूमि पर निर्मला पुतुल की ज़मीन कितनी अपनी है, हम आगे खुलेंगे इस आत्मसंशय के साथ कि उस ऊसर ज़मीन को अगर उर्वर प्रदेश न बनाया गया होता तो कैक्टस, नागफनी और बबूल सरीखे पेड़-पौधे ही वहाँ अपनी जड़ें जमा पाते!