भोले नाथ बडी उल्झन मे फ़ंस गये! उनको इस तरह के जवाब की अपेक्षा नही थी! सो उन्होने प्रश्न सुचक नजरों से मित्र की तरफ़ देखा! विष्णू बोले-मित्र मेरी पीडा को कोई आज तक समझ नही पाया! शायद समुद्र मन्थन मे मिले जहर को गले मे रख कर आप इतना तकलीफ़ नही पाये होन्गे जितनी तकलीफ़ मैं रोज भोग रहा हूं! सबके सामने आप तो हलाहल पीकर हीरो बन गये और लक्ष्मी को प्राप्त करके मैं स्वार्थी कहलाया और लोग मुझे आज भी दबी जबान से गालियां देते हैं!