स्त्रियों के लिए योनिशूल, योनिशोथ और योनि विकार नाशक, रक्तप्रदर एवं अति ऋतुस्राव को सामान्य करने वाला तथा शीतलता प्रदान करने वाला है।
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पहले तो ऋतुस्राव की परेशानी फिर गर्भ का बोझ और फिर संतान उत्पन्न करने का दर्द और उसकी देख रेख की ज़िम्मेदारी ।
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3 ग्राम मूली के बीजों का चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से ऋतुस्राव (मासिक-धर्म का आना) का अवरोध नष्ट होता है।
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जब 20 ग्राम के लगभग जल शेष रह जाए तो इसे छानकर रात्रि के समय पिलाने से सुबह ऋतुस्राव (माहवारी) बिना दर्द के होता है।
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9. मूली: मूली के बीजों का चूर्ण सुबह-शाम जल के साथ 3-3 ग्राम सेवन करने से ऋतुस्राव (माहवारी) का अवरोध नष्ट होता है।
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मासिक-धर्म (ऋतुस्राव) के रुकने के कारण चेहरे पर अधिक मुंहासे निकलते हों तो सुबह के समय मूली और उसके कोमल पत्ते चबाकर खाने से आराम मिलता है।
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मासिक ऋतुस्राव: मुलहठी का चूर्ण 5 ग्राम थोड़े शहद में मिलाकर चटनी जैसा बनाकर चाटने और ऊपर से मिश्री मिला ठंडा किया हुआ दूध घूंट-घूंटकर पीने से मासिक स्राव नियमित हो जाता है।
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मासिक धर्म की रुकावट: सफेद दूब और अनार की कली को रात को जले राख में भीगे चावलों के साथ पीसकर 1 सप्ताह तक सेवन करने से ऋतुस्राव (माहवारी) की रूकावट में लाभ मिलता है।
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5. ढाक: ढाक के बीज पीसकर एक चम्मच की मात्रा में एक चौथाई चम्मच हींग के साथ ऋतुस्राव (माहवारी) शुरू होने के दिन से चार दिन तक सेवन करने से गर्भधारण करने की संभावना नगण्य होती है।
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ऐसी स्त्रियों को मासिक ऋतुस्राव शुरू होने के 3 दिन बाद से यह नुस्खा 7 दिन तक सेवन करना चाहिए-दस ग्राम असगन्ध जरा से घी में, मन्दी आंच पर अच्छे से सेक लें, फिर एक गिलास उबलते दूध में डालकर 15-20 मिनट तक उबालें।