उष्णकटिबंधीय चक्रवात गर्म समुद्र में उत्पन्न होता है, इसीलिए इसका पैदा होना एल नीनो (El Niño) और ला नीना (La Niña) चक्र से प्रभावित होता है.
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यह तो जानी-मानी बात है कि एल नीनो नामक प्राकृतिक घटना के साथ जब प्रशांत महासागर गर्म होता है तो इसका असर भारत के मानसून पर पड़ता है।
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ऊष्ण कटिबंधीय प्रशांत के भूमध्यीय क्षेत्र के समुद्र के तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में आये बदलाव के लिए उत्तरदायी समुद्री घटना को एल नीनो (अल नीनो या अल निनो) कहा जाता है।
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जब एक एल नीनो अकाल ने 1876 में दक्खन के पठार के किसानों को दरिद्र बना दिया, तब भारत में चावल और गेहूँ की पैदावार ज़रूरी मात्रा से ऊपर हुई थी।
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ऊष्ण कटिबंधीय प्रशांत के भूमध्यीय क्षेत्र के समुद्र के तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में आये बदलाव के लिए उत्तरदायी समुद्री घटना को एल नीनो (अल नीनो या अल निनो) कहा जाता है।
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वर्ष 2010 के दौरान मलेशिया के पाम पेड़ों के अधिक उत्पादकता के चक्र के समाप्त होने एवं निम्न उत्पादकता चक्र के शुरू होने के साथ अगले साल वहां एल नीनो असर के कारण पाम तेल के उत्पादन में कमी के आसार हैं।
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गर्म होते समुद्र में एल नीनो प्रभाव (प्रशांत महासागर के गर्म होकर फैलने वाली समुद्री धाराआें से विभिन्न क्षेत्रों के मौसम का संचालित होना) के अस्वाभाविक रूप से बढ़ जाने या पलट जाने के विभिन्न देशों के मौसम पर अस्वाभाविक व अतिवादी प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना का जिक्र भी कुछ वैज्ञानिकों ने किया है, हालांकि यह विवादग्रस्त रहा है।
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[70] ताइपिंग बगावत के कारण 1850 से 1873 की अवधि में, सूखे व अकाल की वजह से चीन की आबादी में 60 मिलियन से अधिक की कमी आई.[71] चीन के क्विंग वंश की नौकरशाही ने अकाल कम करने पर विस्तृत रूप से ध्यान दिया उसे एल नीनो-दक्षिण से सम्बन्धित सूखे व बाढ़ के कारण होने वाली अकाल घटनाओं को टालने का श्रेय मिला.