| 31. | असत्य कथन है सुज्ञ जी.... एषणा लोभ का पर्याय नहीं.... लोभ की उत्पत्ति एषणा से होती है...
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| 32. | अन्वेषण की प्रबल एषणा और हमारी जिज्ञासाएँ-एक ओर ये और दूसरी ओर यह भला क्या? धुंधलापन ।
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| 33. | डॉ योगेन्द्र दत्त शर्मा: देखिये, मै बहुत सामान्य आदमी हूँ,कोई बडी एषणा मेरी नही है,कोई महत्वाकाक्षा भी नही है।
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| 34. | वास्तव में यह एषणा है जो दुष्कर्मों की जननी है... इच्छा... और इन सभी शत्रुओं की जननी.....
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| 35. | आँख खोलने से पहले ही मुझे पिलाई गई एषणा वही बुने है कई-कई आकाश आँखों भर की हदवाले आकाश!
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| 36. | मनुष्य के जीवन मे तीन एषणाएँ होती हैं, प्रथम-प्राण एषणा, द्वितीय-लोक एषणा और तृतीय धन एषणा।
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| 37. | मनुष्य के जीवन मे तीन एषणाएँ होती हैं, प्रथम-प्राण एषणा, द्वितीय-लोक एषणा और तृतीय धन एषणा।
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| 38. | अन्वेषण की प्रबल एषणा और हमारी जिज्ञासाएँ-एक ओर ये और दूसरी ओर यह भला क्या? धुंधलापन ।
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| 39. | प्रथम दो एषणाएँ तो स्थूल स्वार्थ की कोटि में आती हैं और तीसरी एषणा सूक्ष्म स्वार्थ की कोटि में आती है।
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| 40. | और जीवेषणा सबसे मुक् त हो जाए-न संसार, न शरीर, न मन-तो एषणा नहीं रह जाती।
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