यह आमतौर पर 20 से 50 साल तक की उम्र के लोगों में पाई जाती है और ऑटोइम्यून डिस्ऑर्डर से होती है।
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यह आमतौर पर 20 से 50 साल तक की उम्र के लोगों में पाई जाती है और ऑटोइम्यून डिस्ऑर्डर से होती है।
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यह आमतौर पर 20 से 50 साल तक की उम्र के लोगों में पाई जाती है और ऑटोइम्यून डिस्ऑर्डर से होती है।
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सफेद दाग़ से पीड़ित मरीजों में कई और ऑटोइम्यून डिसीज़ जैसे थॉयराइड, टाईप १ डाइबीटिज़, रूमेटॉइड आर्थ्राइटिस आदि की आशंका भी सर्वाधिक होती है।
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ऑटोइम्यून डिजीज का संबंध उन बीमारियों से है, जो रोग प्रतिरोधक प्रणाली से ही शरीर के अंदर के ऊतकों के नष्ट होने के कारण होती हैं.
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लक्षण: जलन व सूजन खतरा: ऑटोइम्यून डिजीज ऑटोइम्यून बीमारियां शरीर के स्वस्थ टिशू पर हमले के लिए जिम्मेदार होती हैं जिनमें आंखों के अंदरूनी हिस्से भी शामिल होते हैं।
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लक्षण: जलन व सूजन खतरा: ऑटोइम्यून डिजीज ऑटोइम्यून बीमारियां शरीर के स्वस्थ टिशू पर हमले के लिए जिम्मेदार होती हैं जिनमें आंखों के अंदरूनी हिस्से भी शामिल होते हैं।
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गठिया संधि शोथ होने का सही कारण अभी तक अज्ञात है, आनुवांशिक पर्यावरण और हार्मोनल कारणों की वजह से होने वाले ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया से जलन शुरु होकर बाद में यह
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ठीक इसके विपरीत स्वप्रतिरक्षित रोग (ऑटोइम्यून डिजीज) एक उत्तेजित ऑटो इम्यून सिस्टम के कारण होते हैं जो साधारण ऊतकों पर बाहरी जीव होने का संदेह कर उन पर आक्रमण करता है।
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ठीक इसके विपरीत स्वतःप्रतिरक्षित (ऑटोइम्यून) रोग एक उत्तेजित ऑटो इम्यून सिस्टम के कारण होते हैं जो साधारण ऊतकों पर बाहरी जीव होने का संदेह कर उन पर आक्रमण करता है।