आप एक बार आकर प्यार से हाथ फेर कर अपने आखों के जादू से प्यार सिखला दो... हमें.... प्यार फैला दो... ओ! मेरे संत बैलेंटाइन वादा करो.... तुम.... कि.... अगले बरस जरुर आओगे!!!! स्मृतियों का ढेर दोछत्ति पर पड़ा कबाड़ है स्मृतियों का ढेर या फिर विस्म्रतियों का................................
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मेघा छाए आधी रात निदिंया हो गई बैरन मौसम है आशिकाना है दिल कहीं से उनको ढूँढ लाना, दम मारो दम, मिट जाए गम, सुहाना सफर है, तेरे बिना जिन्दगी से कोई शिकवा तो नहीं, बोल रे पपीहरा, चन्दो ओ! चन्दा, यादों की बारात निकली है या दिल के द्वारे, जिन्दगी एक सफर है सुहाना यहाँ कल क्या हो किसने जाना।
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`` कैसे आयेर्षोर्षो मेरा मतलब इस शहर में कैसे आना हुआ” `` बस कुछ नहीं! मेरा यहां का टूर था,नरेश ने बताया था कि आजकल तुम यहां पोस्टेड हो सो मिलने चला आया।” `` अच्छा,और तुम्हारी नौकरी अभी भी वही है क्या` `` हां,बस प्रमोशन हो गया है जिसमें टूर ज्यादा रहते हैं।” `` ओ! चलो अच्छा है,इसी बहाने तुम राजनगर तो आये अब दो चार दिन तो रूकोगे ना।” आवाज मे हल्की खुशी की गूंज सुन मुझे फिर से वहीं पुराना हितेन्द्र दिखा ।
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जिन्दगी की राह पर केवल वही पंथी सफल है, आँधियों में, बिजलियों में जो रहे अविचल मुसाफिर! पंथ पर चलना तुझे तो मुस्कुराकर चल मुसाफिर॥ जानता जब तू कि कुछ भी हो तुझे बढ़ना पड़ेगा, आँधियों से ही न खुद से भी तुझे लड़ना पड़ेगा, सामने जब तक पड़ा कर्र्तव्य-पथ तब तक मनुज ओ! मौत भी आए अगर तो मौत से भिड़ना पड़ेगा, है अधिक अच्छा यही फिर ग्रंथ पर चल मुस्कुराता, मुस्कुराती जाए जिससे जिन्दगी असफल मुसाफिर! पंथ पर चलना तुझे तो मुस्कुराकर चल मुसाफिर।