और हां यह सस्ता श्रम पूंजीविरोधी परम्पराओं से भी दूर था-यानी ‘ औद्योगिक शांति ' का वादा. इस आशियाने में पूंजी को मजदूरों का निर्बाध शोषण करने की छूट रही है और इस तरह उन्हें अपार मुनाफा कमाने की सम्भावना रहती है. गुड़गांव ‘ शाइनिंग इण्डिया ' की मिसाल बन गया. यहां के चमचमाते आलीशान भवन समृद्धि का एलान करते हैं और यहां का विशाल औद्योगिक क्षेत्र भारत के आर्थिक विकास का नमूना बन गया.
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जब देश में विनिर्माण क्षेत्र के सबसे चमकते उदाहरणों में से एक मारुति में श्रमिकों को ट्रेड यूनियन बनाने का बुनियादी मौलिक अधिकार हासिल करने के लिए हड़ताल करनी पड़ती है, अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है कि अन्य प्रतिष्ठानों में क्या स्थिति होगी? दूसरे, देश भर में श्रमिकों को तेज वृद्धि दर और तुलनात्मक रूप से औद्योगिक शांति के बावजूद जिस तरह से बदतर परिस्थितियों में काम करना पड़ रहा है, वह गहरी चिंता की बात है.
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' परिपूर्ण रेलवे समाचार' द्वारा “भारतीय रेल का पुनरुत्थान-एक चिंतन” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार के मंच पर उपस्थित दाएं से एआईआरपीएफए के महासचिव श्री यू. एस. झा, एआईआरएफ के महाचासचिव का. शिवगोपाल मिश्रा, म. रे. के महाप्रबंधक श्री सुबोध कुमार जैन, प. रे. के महाप्रबंधक श्री महेश कुमार, डीएफसीसी के निदेशक श्री पी. एन. शुक्ल. रेल प्रबंधन के उपरोक्त सभी विशेषज्ञ और औद्योगिक शांति एवं उत्पादन में भागीदार सभी कर्मचारियों एवं अधिकारी संगठनों के पदाधिकारियों ने इस सेमिनार में शामिल होने की अपनी पूर्व सहमति प्रदान की थी.