यदि एक औसत परिवार पांच लोगों का माना जाए तो हम कह सकते हैं कि नगालैंड में हर तीन परिवारों पर एक सरकारी कर्मचारी नियुक्त है।
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योजना आयोग का मानना है कि दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में एक औसत परिवार जिसमें चार सदस्य हों उसके लिए 3860 रुपए काफी हैं.
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बेलगाम होती मंहगाई के कारण एक औसत परिवार का एक दिन का सब्जी का खर्चा ही 100 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से वहन करना पड़ रहा है।
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यदि सभी आवश्यकताओं को जोड़ा जाए तो सिर्फ खाने के लिए ही औसत परिवार के मुखिया को लगभग 10 हजार रुपए कमाना अति आवश्यक हो गया है।
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के रूप में वे एक कुल पैसा बदलाव, औसत परिवार पर काम $ 5300 में कर्ज से भुगतान करता है और पहले 91 दिनों में $ 2700 बचाता है
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अमेरिका में एक अनुमान औसत परिवार के मुताबिक यह आंकड़ा $ 10000 या अधिक क्रेडिट कार्ड ऋण देने अमेरिकी साबित करता है क्रेडिट कार्ड पर भुगतान करने के लिए निर्भर
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सरगुजा के ज़्यादातर गांवों में सरकारी राशन दुकान बड़ी बेहतरी से चल रहे हैं और वहां से एक औसत परिवार को नाम-मात्र की कीमत पर 35 किलो चावल प्रतिमाह मिलता है.
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अधिक नहीं तो, यह अपने बजट को संतुलित कर रहे और बच्चों की पढ़ाई व माता-पिता के सेवानिवृत्ति के लिए बचत कर रहे औसत परिवार के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
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बिहार जैसे सूबों की बात करे तो एक औसत परिवार का बच्चा दसवीं के बाद क्या करेगा-इसका कोई मुकम्मल इंतजाम न तो नीतीश कुमार के पास है न ही कपिल सिब्बल के पास।
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बिहार जैसे सूबों की बात करे तो एक औसत परिवार का बच्चा दसवीं के बाद क्या करेगा-इसका कोई मुकम्मल इंतजाम न तो नीतीश कुमार के पास है न ही कपिल सिब्बल के पास।