| 31. | सभी की ज़िंदगी खिलता कँवल नहीं होती
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| 32. | ' कँवल जो बिगसा मानसर बिनु जल गएउ सुखाइ '
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| 33. | नयन नो देखा कँवल भा, निरमल नीर सरीर।
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| 34. | जैसे खिलता है कँवल पाकर झलक खुर्शीद की..
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| 35. | प्रकृति ही पाल रही थी, जगधात्री का कँवल शरीर...
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| 36. | मुरझा ही गया दिल का कँवल धूप में आरिफ
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| 37. | आइए देखते हैं क्या लिखा है कँवल भारती ने
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| 38. | आँखों में हिमाकत का कँवल जब से खिला है।
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| 39. | जब जिसको [कँवल आदि] नेत्र दोष होता है, तब
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| 40. | कँवल भारती की प्रतिक्रिया का यही वास्तविक आशय है।
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