| 31. | कंचुकी (सं.) [सं-स्त्री.] अँगिया ; चोली।
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| 32. | कंचुकी: (आभूषण पहिराता है) कल्याण हो महाराज! मेरा काम पूरा हुआ।
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| 33. | कसी कंचुकी में उन्नत वक्षां वाली एवं क्षीण कटि व चपल ने त्रों
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| 34. | वह यह बात विदूषक को बता ही रहे थे कि कंचुकी ने आकर
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| 35. | परिरंभ में सहसा चैतन्य होकर चंपा ने अपनी कंचुकी से एक कृपाण निकाल
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| 36. | पह्नेंगी कंचुकी क्षीर से क्षण-क्षण गीली-गीली, नेह लगाएँगी मनुष्य से, देह करेंगी ढीली.
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| 37. | कंचुकी हरे रंग की है-गले में फूलों की माला, जो कमर तक लटक
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| 38. | उस दिन बंसू ने पाया कि दुलहिन के ब्लाउज के भीतर कंचुकी नहीं है।
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| 39. | प्रतिहारीः (प्रवेश करके) महाराज की जय हो! कंचुकी और धाय द्वार पर उपस्थित हैं।
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| 40. | यौगन्धरायण: (पास पहुँचकर कंचुकी से) आश्रमवासियों को मार्ग से हटाया क्यों जा रहा है?
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