भागलपुर दंगे में 14 को कठिन कारावास की सजा बिहार की एक अदालत ने शनिवार को एक पुलिस अधिकारी सहित 14 अभियुक्तों को भागलपुर दंगे के मामले में सजा सुनाई।
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एक वर्श के कठिन कारावास से दण्डित किया भुगतान मे व्यतिक्रम करने पर जुर्माना अपीलार्थी / अभियुक्त को दो मास के अतिरिक्त साधारण कारावास का दण्ड भुगतने का आदेष दिया गया है।
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अभियुक्त बिलीव एवं अभियुक्ता कुमारी क्रिस्टीना को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420सपठित धारा 120ख के आरोप मे दोषसिद्ध करते हुये प्रत्येक को 6 वर्ष (छह वर्ष) के कठिन कारावास तथा रूपये 25,000/-(रूपये पच्चीस हजार) जुर्माने से दण्डित किया जाता है।
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परिस्थितियों को देखते हुए अभियुक्त को धारा 376 भा0दं0वि0 में 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा और 10, 000 रू0 के अर्थदण्ड से तथा धारा. 452 भा0दं0वि0 में 5 वर्ष के कठिन कारावास एवं 5,000 रू0 के अर्थदण्ड से दण्डित किया जाना न्यायोचित होगा।
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ऐसे में साजिश में शामिल शख्स यदि फांसी, उम्रकैद या दो वर्ष या उससे अधिक अवधि के कठिन कारावास से दंडनीय अपराध करने की आपराधिक साजिश में शामिल होगा तो धारा 120 बी के तहत उसको भी अपराध करने वाले के बराबर सजा मिलेगी।
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इलाहाबाद में, ‘ आनंद भवन ‘ में वे नेहरू जी के निजी सचिव थे अंगरेजी संभाषणों का कोंग्रेसी समीति से आम जनता तक पहुंचाने का कार्य, हिन्दी अनुवाद के जरिए भी पापाजी ही किया करते थे जिसके फलस्वरूप उन्हें यह कठिन कारावास मिला था-
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वर्तमान प्रकरण के दृश्टिगत प्रत्येक अभियुक्त को यदि भारतीय दण्ड संहिता की धारा 304 सपठित धारा 34 के आरोप मे सात-सात वर्श के कठिन कारावास तथा रूपये 5, 000-5,000 (रूपये पॉच-पॉच हजार) के अर्थदण्ड से दण्डित किया जाता है तो उससे न्याय की मंषा पूर्ण होना पाया जाता है।
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अतः वर्तमान प्रकरण की सम्पूर्ण परिस्थितियों तथा अपराध की गम्भीरता के दृश्टिगत अभियुक्त जुगमन्दर दास को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 306 के आरोप मे पॉच वर्श के कठिन कारावास तथा रूपये 10, 000/-(रूपये दस हजार) जुर्माने से दण्डित किये जाने पर न्याय की मंषा का पूरा होना पाया जाता है।
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खुद अपनी पैरवी करते हुए पुलिस के अत्याचार के बारे में उसके कुछ कहने की शुरुआत करते ही मजिस्ट्रेट ने तिरस्कार पूर्वक उसे रोक दिया और पुलिस के काम में हस्तक्षेप करने के अपराध में उसे एक मास के कठिन कारावास की सज़ा सुनाते हुए यह भी कहा कि इतनी हल्की सज़ा देकर वह विशेष दया दिखा रहे हैं।
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धारा 120ख " आपराधिक षड्यंत्र का दंड-(1) जो कोई मृत्यु, आजीवन कारावास या दो वर्ष या उससे अधिक अवधि के कठिन कारावास से दंडनीय अपराध करने के आपराधिक षड्यंत्र मे शरीक होगा, यदि ऐसे षड्यंत्र के दण्ड के लिये अभिव्यक्त उपबंध (2) इस संहिता मे कोई नही है, तो वह उसी प्रकार दण्डित किया जायेगा, मानो उसने ऐसे अपराध का दुष्प्रेरण किया था।