| 31. | सहसा पंखे की हवा से आँचल स्वयं ग्रीवामुक्त होकर उसकी विजयपताका-सा फहरा उठा और मैंने अम्माँ की पन्ना-मोती जड़ी कण्ठी पहचान ली।
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| 32. | फिर उसने कण्ठी भी अपने मन से, अपने बुरे आचरणों, असामाजिक कार्यों को छोडने की घोषणा करके नहीं पहनी थी।
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| 33. | उसने अपनी कण्ठी छूकर कहा कि “जाओ बाबू, तुम क़ायदे से ही काम करोगे तो हम भी क़ायदे से ही काम करेंगे।
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| 34. | गत्ती के गले में कण्ठी देखकर, लोगों ने पूछा-ताँछा, तो गत्ती ने रात की कथा सब को खुश-खुश सुना दी।
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| 35. | माथे पर कबीरपंथि तिलक, गले में तुलसी की कण्ठी, आँधी-पानी झेला हुआ दढ़ियल चहेरा, दुबली-पतली देह, मिर्ज़ई पहने हुए।
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| 36. | उसने अपनी कण्ठी छूकर कहा की जाओ बाबू, तुम क़ायदे से ही काम करोगे तो हम भी क़ायदे से ही काम करेंगे।
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| 37. | पान-फूल, धोती-रुपए चढाकर कण्ठी धारण कर ली जाती है मन में प्रेम नहीं और जबरदस्ती जल्दी-जल्दी में नाम स्मरण किया जाता है ।
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| 38. | के जेबर उपलब्ध हैं जिनमें श्रीजी तथा राधा के झुमके, सोने की नथ, कण्ठी, चूड़ियां, कड़े इत्यादि से भगवान को सजाया जायेगा।
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| 39. | ऐसी स्थिति में यह सोचना पड़ता है कि कोई उपाय निकल आये, जिससे कण्ठ में पड़ी हुई उपवीती-कण्ठी का शरीर से कम स्पर्श हो।
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| 40. | ' इतना लिखकर उन्होंने हाथ पर बँधा तावीज तोड़कर पेंक दिया, सोने की कण्ठी भी तोड़कर फेंक दी और एक क्षण में आत्मा उड़ गयी ।
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