| 31. | काल बली भी थर-थर कपि ज्वाल प्रचंड दिखाई दे।
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| 32. | कपि हुए नम्र, क्षण में माता छवि हुई लीन,
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| 33. | प्रभु तरु पर, कपि डार पर ते, आपु समान!
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| 34. | कवि मंच अब कपि (बंदर) मंच बन गया है.
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| 35. | अट्ट हास करि गर्जा कपि आगि बढ़ि लगी आकाश।
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| 36. | “ मुठिका एक महा कपि हनी ।
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| 37. | झुक जाएगा कपि, निश्चय होगा दूर रोध।”
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| 38. | अट्टहास करि गरजा कपि बढ़ी लागि आका श. ”
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| 39. | झुक जायेगा कपि, निश्चय होगा दूर रोध।”
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| 40. | कवि मंच अब कपि (बंदर) मंच बन गया है।
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