लोकमंगल के अधिष्ठाता अपने गणेश तो मोदक / लड्डू प्रेमी हैं ही और इसलिए बिचारे डायिबिटीज के निवारण के लिए कपित्थ जम्बू जैसे सुन्दर (चारू) फलों का भी नियमित सेवन करते हैं..
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जैसे-राजमा, चना, अलसी, तीसी, सन, बासी भोजन, मसूर, कपित्थ, कोदों और समुद्रजल से बना नमक आदि भोजन में उपयोग नहीं करना चाहि ए.
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कुछ अन्न और खाद्य पदार्थ जो श्राद्ध में नहीं प्रयुक्त होते-मसूर, राजमा, कोदों, चना, कपित्थ, अलसी, तीसी, सन, बासी भोजन और समुद्रजल से बना नमक।
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लोकमंगल के अधिष्ठाता अपने गणेश तो मोदक / लड्डू प्रेमी हैं ही और इसलिए बिचारे डायिबिटीज के निवारण के लिए कपित्थ जम्बू जैसे सुन्दर (चारू) फलों का भी नियमित सेवन करते हैं..
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श्राद्ध के लिए अनुचित बातें-कुछ अन्न और खाद्य पदार्थ जो श्राद्ध में प्रयुक्त नहीं होते-मसूर, राजमा, कोदों, चना, कपित्थ, अलसी, तीसी, सन, बासी भोजन और समुद्रजल से बना नमक।
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वास्तु के अनुसार घर के समीप अशुभ प्रभावकारी वृक्ष-पाकर, गूलर, नीम, बहेडा, पीपल, कपित्थ, बेर, निर्गुण्डी, इमली, कदम्ब, बेल, खजूर ये सभी घर के समीप अशुभ है।
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किन्तु यदि यह मालूम हो जाय कि जब हाथी कपित्थ भक्षण कर लेता है तब वह कपित्य उसकी लीद में समुचा वैसा का वैसा निकलता है, लेकिन फोड़ने पर उसके भीतर का गूदा गायब मिलता है, तो श्रोता परिस्थितियों की व्यंजना अत्यन्त गहराई से समझेगा।
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किन्तु यदि यह मालूम हो जाय कि जब हाथी कपित्थ भक्षण कर लेता है तब वह कपित्य उसकी लीद में समुचा वैसा का वैसा निकलता है, लेकिन फोड़ने पर उसके भीतर का गूदा गायब मिलता है, तो श्रोता परिस्थितियों की व्यंजना अ त्यन्त गहराई से समझेगा।
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श्रद्धा और भक्तिपूर्वक त्रयतापनिवारक दयानिधान मोदकप्रिय सर्वेश्वर गजमुख कपित्थ, जम्बू और वन्य फलों से ही नहीं, दूर्वा के दो दलों से भी प्रसन्न हो जाते हैं और मुदित होकर समस्त कामनाओं की पूर्ति तो करते ही हैं, जन्म-जरा-मृत्यु का सुदृढ़ पाश नष्ट कर अपना दुर्लभतम परमानन्दपूरित दिव्य धाम भी प्रदान कर देते हैं।
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अच्छी दास्तान है यह भी, मेरी भी एक स्मृति कौंध गयी-पांचवीं तक मैं भी लड़कियों के स्कूल मे ही पढा हूँ.और काफी समय तक हंसी का पात्र रहा-शायद एक तरह के हीन भावना से ग्रस्त भी.कैंत ही संस्कृत का कपित्थ है-कपित्थ जम्बू फल चारु भक्षणम..जह हो गणेश भक्त की!वर्तनी की कोई गलती नोटिस मे तो नही आयी-सब कुछ भला चंगा तो है.