नंगटे की लंगोट या नकटे की नाक पर भला कौन अहमक निगाह भी डालेगा? वैसे कल्पना या कपोलकल्पना से परहेज़ करता हूँ, यह मुझे अफ़ीमची की अफ़ीम लगती है ।
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हनुमान जी का हिमालय से पर्वत उखाडकर लाना मायावी नहीं है वरन एक वरदान की शक्ति का याथार्थिक फ़ल है, अत: फ़ैन्टैसी है, कपोलकल्पना है, या जादुई यथार्थ है।
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मुझे अरविन्द याद आते हैं कि पूरे विश्व या पूरे देश के लिये सबसे बड़ा दुर्भाग्य का दिन वह दिन है जब हमारे देश के नागरिकों ने यह मान लिया कि हमारे प्राचीन ग्रन्थ कपोलकल्पना है।
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लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद स्वाभाविक प्रतिक्रिया यही होती है कि इस रिपोर्ट के लिए 17 साल! यदि इतनी हड़बड़ी, लापरवाही, कपोलकल्पना और पूर्वाग्रह के साथ यह रिपोर्ट तैयार करनी थी तो इसके लिए 17 दिन ही काफी थे।
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लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद स्वाभाविक प्रतिक्रिया यही होती है कि इस रिपोर्ट के लिए 17 साल! यदि इतनी हड़बड़ी, लापरवाही, कपोलकल्पना और पूर्वाग्रह के साथ यह रिपोर्ट तैयार करनी थी तो इसके लिए 17 दिन ही काफी थे।
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मगर कई भाषाविज्ञानी उत्पत्तियों के इन आधारों को कपोलकल्पना मानते हैं और इसे ‘ म ' वर्ण से निकला हुआ नर्सरी शब्द मानते हैं जो ध्वनि-अनुकरण प्रभाव के चलते एक ही आधार से उठकर भारतीय-यूरोपीय भाषा परिवार में फैलता चला गया।
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कविता में भी तर्कसंगत कुछ कहते तो मज़ा आता, ऐसी कपोलकल्पना! और इतने महत्वपूर्ण विषय के संदर्भ में?? … और वह भी आप जैसे बुजुर्ग के लेखन में, जिनके अवुभवों से नई पीढ़ी प्रेरणा के लिए आशान्वित होती है ।
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लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद स्वाभाविक प्रतिक्रिया यही होती है कि इस रिपोर्ट के लिए 17 साल! यदि इतनी हड़बड़ी, लापरवाही, कपोलकल्पना और पूर्वाग्रह के साथ यह रिपोर्ट तैयार करनी थी तो इसके लिए 17 वें दिन ही काफी थे।
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कुरूक्षेत्र का युद्ध क्या ऐतिहासिक घटना है और इस मैं कितनी सेनाओं ने भाग लिया? कहीं यह कपोलकल्पना तो नहीं! यह युद्ध एक प्रकार से विश्वयुद्ध था, महाभारत में प्रयुक्त वरूणास्त्र, आगनेयास्त्र आदि प्राचीनकाल के विज्ञान की देन मान संतोष किया जा सकता है पर इस में भाग लने वाली सेनाओं की संख्या पर विश्वास नहीं होता.
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लेकिन जब एक कुंवारा / कुंवारी वासनात्मक साहित्य, चित्र, या पिक्चर में अपने आप को डुबा देता है, या जब एक विवाहित व्यक्ति अपने जीवनसाथी के बदले गैर विपरीतलिंगियों के बारे में वासनात्मक कपोलकल्पना में लिप्त रहता है तो उसके शरीर में जो रासायनिक परिवर्तन होते हैं वे उसको नुक्सान पहुंचा सकते हैं क्योंकि मन सामान्य से दस गुना तेजी से उड रहा है और सामान्य निवृत्ति न होने के कारण शरीर अपने में होने वाली रासायनिक प्रक्रियाओं का नुक्सान उठा रहा है.