भाग आना पदावनत करना पदावनत करना सूजन भग जाना कमजोर हो जाना टुकड़े करना ब्रेक बिगाड़ देना धम्म की आवाज कंठ फुटना कंठ फुटना तितर-बितर करना कमज़ोर करना पकड़े से छुटना ख़राब करना टक्कर खाना धम्म की आवाज में रूकावट डालना समाप्त कर देना पकड़ से निकल जाना सुअवसर बदल् दना गला भर आना विनिमय करना टकराना शुरुआत
32.
आंखों से सम्बंधित लक्षण-आंखों की रोशनी का कमजोर हो जाना, दांई तरफ की आंख से सिर्फ हल्की सी रोशनी ही दिखाई पड़ना, आंखों की पलकों का स्नायुशूल होने के साथ ऐसा महसूस होना जैसे कि आंखें काफी बड़ी हो गई हैं और बाहर निकल रही हैं ये परेशानी आग के पास बैठने से ज्यादा बढ़ जाती है।
33.
पुरुषों से सम्बन्धित लक्षण:-अधिक संभोग की इच्छा रहने के कारण उत्पन्न रोग, लिंग में उत्तेजना होने के साथ ही वीर्यपात हो जाना, संभोग क्रिया के समय में वीर्यस्खलन नहीं होना, अण्डकोष का अधिक कमजोर हो जाना आदि लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए हाइड्रोफोबीनम औषधि का प्रयोग करना उचित होता है।
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हृदय के अन्दर का प्रदाह रोग यदि वात और ताण्डव (नर्तन रोग) रोग के कारण उत्पन्न हुआ हो और रोगी में विभिन्न लक्षण दिखाई दें जैसे-हृदय में सुई चुभने की तरह दर्द, दिल की धड़कन तेज होने के कारण बेहोशी आ जाना, अनियमित नाड़ी की गति व नाड़ी का कमजोर हो जाना तथा नाड़ी का रुक-रुककर चलना आदि।
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शरीर के सभी अंग ठंडे तथा नीले पड़ जाना तथा विशेषकर के हाथ तथा पैर, बेचैनी या छटपटी होना, पैरों में ऐंठन होना, नाड़ी सूत की तरह कमजोर हो जाना, आवाज कम सुनाई पड़ना, आंखें अंदर की ओर धंसना, कान बंद महसूस होना तथा पतले पदार्थ या पानी पीने के समय में कल-कल या घर-घर शब्द होना आदि।
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किसी भयानक रोग के कारण रोगी का शरीर बिल्कुल कमजोर हो जाना, रोगी का बहुत ज्यादा चिड़चिड़ा हो जाना, कोई कुछ भी बोलता है तो रोगी तुरन्त ही गुस्से में आ जाता है, रोगी जब रात को सोता है तो ही उसका रोग तेज हो जाता है, शरीर के बाएं भाग के रोग जो बाद में दाईं ओर फैल जाते हैं।
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डिस्क खिसक जाना, स्पोंडिलाइटिस, कमर की हड्डी की चोट के कारण या यूं ही बैठे टूट जाना, कमर की हड्डी (मेरुदंड या बर्टीबा) के पैदाइशी डिफेक्ट, उम्र के साथ इन हड्डियों का कमजोर हो जाना (ऑस्टोपोडोसिस), वहां कोई इन्फेक्शन हो जाना आदि बहुत-से कारण तो वे हैं जो सीधे मेरुदंड की बीमारी से ताल्लुक रखते हैं.
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ऐसे में दस्त बंद होने के साथ यदि अन्य लक्षण उत्पन्न होते है जैसे-जी मिचलाना, उबकाई आना, चेहरा पीला पड़ जाना, पूरे शरीर में पसीना आना, पेट के अतिरिक्त पूरे शरीर में ठण्ड महसूस होना, नाड़ी (नब्ज) कमजोर हो जाना तथा नाड़ी रूक-रूककर चलना आदि हैजा के बाद उत्पन्न लक्षणों में टाबैकम औषधि का प्रयोग अत्यंत लाभकारी होता है।
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पुरुष से सम्बंधित लक्षण-मन में कामुक विचारों के आने पर या स्त्री के छूते ही वीर्य निकल जाना, संभोग क्रिया के समय लिंग का उत्तेजित न हो पाना, हस्तमैथुन के कारण लिंग का कमजोर हो जाना, अंडकोषों का बढ़ जाना, संभोग क्रिया में सफल न हो पाना आदि पुरुष रोगों में अगर रोगी को कोनियम मेकुलेटम औषधि दी जाए तो उसको बहुत लाभ मिलता है।
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सबसे सामान्य लक्षणों में कंपन, श्वास कष्ट (सांसें छोटी होना), हृदय स्पंदन, छाती का दर्द (या सीने में जकड़न), हॉट फ़्लैशेस, कोल्ड फ़्लैशेस, जलन का अनुभव (ख़ास तौर पर चहरे या गर्दन के हिस्सों में), पसीना, मिचली, चक्कर आना (या हलके से सिर घूमना), सिर में हल्कापन महसूस होना, सांसें तेज चलना, अपसंवेदना (सिहरन महसूस होना), साँसों में रुकावट या दम घुटने की अनुभूति और समझ कमजोर हो जाना शामिल हो सकते हैं.