मै निर्धारित दिन गया, वहां मीटर चेक किया गया / मेरे ऊपर कुछ हजार जुरमाना लगाया गया / हुआ यह कि जो कर्मचारी लोग मेरा मीटर ले गये थे, उनको मैने पैसा नही दिया, उन्ही लोगों ने मुझे फसाने के लिये मीटर में हेरा फेरी कर डाली, जिसका खामियाजा मुझे भुगतना पड़ा /
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साथ ही यह भी कहा जा सकता है कि जिस ग्लोबल सपनों के सौदागरों को प्रतीकार्थ यहां रखा गया है वे सब असली प्रतिनिधि नहीं हैं उस ग्लोबल तंत्र के कर्मचारी लोग हैं जो अपने वेतन और सुविधा-सम्मान के लिए अपनी बुद्धि को बेचने वाले नये प्रोफेशनल लोग हैं जिसके भीतर किसी न किसी रूप में ' पेटि बुर्जुआ ' दुचित्तापन अभी तक छाया हुआ है.
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हद तो तब हो गई जब सोसायटी के कर्मचारी लोग मेरे घर पर दिवाली की बख्शीश मांगने आ पहुंचे...उन्हे तो खुल्ला नहीं होने का बहाना करके टाल दिया लेकिन अब हर दूसरे दिन मुझे ये संयोग बनाना पड़ता है कि जब भी वो मेरे घर का कॉलबेल बजाते हैं तो मैं बाथरूम में होता हूं ये अलग बात है कि उस वक्त तक मैं नहा धोकर ऑफिस जाने के लिए तैयार बैठा होता हूं॥मेरी बीवी रोज-रोज उन्हे टाल कर थक सी गई है...पर उसे क्या पता कि रोज शाम...