अभिव्यक्ति की कुशलता जो शिल्पगत प्रयोगों के चलते दिखाई दे रही है, वह ठेठ, कला कला के लिए जैसे सिद्धांतों की ही पक्षधर हो जाती है।
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उन ठेठ उपयोगितावादी मान्यताओं का उच्छिष्ट भारतीय परिवेश में ‘ कला कला के लिए ' की यथास्थितिवादी अवधारणा के रूप में आया जो आज भी विद्यमान है.
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वह जब संवेदनाओं के नैरन्तर्य से अनुभूत होता हुआ सृजन के चरम तक पहुँचता है तब क्रौचे के ‘ कला कला के लिए ' सिद्धान्त के आसपास होता है।
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कला के संदर्भ में दो मान्यताऐं हैं ' कला कला के लिए “ और ' कला समाज के लिए ” ऐसे में आप स्वयं को कहॉं पाते हैं?
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एम सलीम:-जो कहा जाता है कि-“ आर्ट फॉर दि सेक ऑफ आर्ट ”, ' कला कला के लिए ” ये अपनी जगह बिल्कुल सही चीज है।
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16. कला कला के लिए:-स्वातन्त्र्य तथा आत्माभिव्यक्ति के अधिकार की भावना के परिणामस्वरूप छायावादी काव्य में “ कला कला के लिए ” के सिद्धांत का अनुपालन रहा है।
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16. कला कला के लिए:-स्वातन्त्र्य तथा आत्माभिव्यक्ति के अधिकार की भावना के परिणामस्वरूप छायावादी काव्य में “ कला कला के लिए ” के सिद्धांत का अनुपालन रहा है।
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सुनील: स्वांत: सुखाय, कला कला के लिए, वैयक्तिक स्वतंत्रता और सरोकार युक्त लेखन मोटे तौर पर ये कुछ प्रकिया है जिसके तहत कोई रचनाकार अपनी बात कहता है?
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प्रः-कला कला के लिए और कला समाज के लिए की दो बहसें हैं इनमें आप अपनी पक्षधरता कहां पाते हैं डी0 एल0 साहः-देखिए मैं समाज को कोई मैसेज नहीं देना चाहता।
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पहला तो यह कि कलाकार समाज की क्रियाशीलता से इतना दूर हो गया है कि उसके मस्तिष्क में ‘ कला कला के लिए ' की भ्रामक पूंजीवादी धारणा ने स्थान जमा लिया है।