गेहूँ की फसल में एकीकृत रोग प्रबंधन: प्रमुख रोग: (१) काली गेरुई (२) भूरी गेरुई (३) पीली गेरुई (४) करनाल बंट (५) अनावृत कण्डुआ (६) सेहूँ (७) स्पाट ब्लाच (८) काली गेरुई अपनाई जाने वाली प्रमुख क्रियाएं: मृदा उपचार: बुवाई से पूर्व जैव कवकनाशी (ट्राईकोडरमा प्रजाति आधारित) के द्वारा २.
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५ ग्राम / लीटर दर से करना लाभदायक होता है | एक हेक्टेयर हेतु १ ००० लीटर पानी का प्रयोग करना चाहिए | २. चूर्णिल आसिता रोग के लिए गंधक चूर्ण कवकनाशी का प्रयोग २ ग्राम / प्रति लीटर पानी की दर से करना चिहिए | रोग की पहचान होते ही दवा का प्रोग लाभदायक होता है | ३. करनाल बंट तथा स्पाट ब्लाच रोगों के लिए प्रोपिकोनाजोल का ०.
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मृदु रोमिल असिता एवं चुर्णित आसिता जैसे रोगों से बचाव के लिए फसल के लिये नियमित निगरानी रखनी चाहिए तथा रोग कि शुरुआती अवस्था दिखाई देते ही उचित कवकनाशी का प्रयोग करना चाहिए| चूर्णिल आसिता के प्रबंधन हेतु गंधक चूर्ण कि २. ५ मात्रा/लीटर पानी की दर से तथा मृदुरोमिल आसित से बचाव के लिए मैन्कोंजेब की २.५ ग्राम मात्रा/लीटर पानी की दर से फसल पर २-३ छिड़काव १० दिन के अन्तराल पर आवयकतानुसार करें|४.
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आर्थिक कारणों कवकनाशी के छिड़काव की आम संस्तुति नही की जाती है | केवल उन परिस्थितियों में जिनमे गेहूँ की पैदावार कम से कम २५-३० कुंतल प्रति हेक्टेयर होने व गेरुई का प्रकोप होने की प्रबल सम्भावनामें मैकोजेब २. ० किग्रा. या जिनेब २.५ किग्रा. प्रति हेक्टेयर का छिड़काव किया जा सकता है | पहला छिड़काव रोग दिखाई देते ही तथा दूसरा छिड़काव १० दिन के अंतर पर करना चाहिए | एक साथ झुलसा, रतुआ तथा करनाल बंटतीनो रोगों की असंका होने पर प्रोपीकोनेजोल (२५ प्रतिशत ई.
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बीज को ट्रा इ कोडरमा पाउडर की ४-५ ग्राम मात्रा + कार्बोक्सिन कि एक ग्राम मात्रा प्रति किग्रा बीज कि दर से उपचारित करके बुवाई करें | जिससे बीज जनित रोगों तथा मृदा जनित रोगों से प्रारम्भिक अवस्था में फसल को बचाया जा सकता है | ३. मृदु रोमिल असिता एवं चुर्णित आसिता जैसे रोगों से बचाव के लिए फसल के लिये नियमित निगरानी रखनी चाहिए तथा रोग कि शुरुआती अवस्था दिखाई देते ही उचित कवकनाशी का प्रयोग करना चाहिए | चूर्णिल आसिता के प्रबंधन हेतु गंधक चूर्ण कि २.
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० किग्रा. प्रति या कार्बोक्सिन (२ ग्राम / किग्रा.) की दर से बीजोपचार करना चाहिए | जिससे बीज जनित रोंगों (अनावृत कण्डुआ, करनाल बंट आदि) की रोक थाम हो जाएगी | यदि मृदा उपचार जैव कवकनाशी से नहीं किया गया हो तो कार्बोक्सिन का प्रयोग संस्तुत दर पर किया जा सकता है | अनावृत कण्डुआ से ग्रसित पौधों को उखाड़कर मिट्टी में दबा दें | पर्णीय उपचार: १. रतुआ (पीला, भूरा, काला) तथा झुलसा रोग के प्रबंध हेतु मैकोजेब का २ छिड़काव २.