कविता में कहानी कहने की कला में माहिर इस कवि ने इसमें भावुक होने से बचते हुए जिस काव्य कौशल से बदनाम औरत को अभिव्यक्त किया है वह उन्हें इसीलिए हिंदी का विरल कवि बनाता है।
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' ' ' गोल्डन नोटबुक ' से ख़्याति हार्पर कॉलिंस यूके की मुख्य कार्यकारी अधिकारी चार्ली रेडमेनी कहती हैं, '' लेसिंग हमारे दौर की महान लेखिकाओं में से एक थीं जो कहानी कहने की कला में माहिर थीं।
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गोविंद कहानी कहने की कला में प्रवीण हैं और इसीलिए बिना किसी प्रमुख नारी पात्र और रोमांस आदि के, वास्तविकता की खुरदुरी जमीन पर यह उपन्यास चरित्रों के विकास और घटनाक्रमों के माध्यम से अपनी रोचकता बनाए रखता है।
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कुछ साल पहले लखनऊ में हुई एक मुलाकात में आबिद ने बताया कि जीवन के आरंभिक दिनों के संघर्ष में उन्होने बतौर क्लैप ब्वाय काम किया, और सिनेमा एडीटिंग की बारीकियां सीखीं जो बाद मे कहानी कहने की कला में उनके ज्यादा काम आया।
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कुछ साल पहले लखनऊ में हुई एक मुलाकात में आबिद ने बताया कि जीवन के आरंभिक दिनों के संघर्ष में उन्होने बतौर क्लैप ब्वाय काम किया, और सिनेमा एडीटिंग की बारीकियां सीखीं जो बाद मे कहानी कहने की कला में उनके ज्यादा काम आया।
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पर और भी कई मामलों पर रजनीश जितना बेलाग, बेलौस और बेहतरीन अंदाज से बातों को क्यों नहीं कह पाए लोहिया? क्यों नहीं कह पाए गांधी? और शायद इसीलिए वह अपने कहानीकार दोस्तों से कहता भी रहता है कि कहानी कहने की कला अगर सीखनी हो तो रजनीश से सीखो।
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जागरण संवाददाता, जमशेदपुर: 'दास्तानगोई' यानी दास्तान (कहानी) सुनाने की कला। 16वीं शताब्दी की उर्दू कहानी कहने की कला बुधवार को जीवंत हुई टेल्को स्थित हिलटॉप स्कूल में। दास्तानगो (कहानी सुनानेवाले) थे राणाप्रताप सेंगर व राजेश कुमार। मंच पर दो कलाकारों की प्रस्तुति में कहने का तरीका व आवाज का उतार-चढ़ाव ही कहानी को जीवंतता प्रदान करता है। सांस्कृतिक संस्था स्पिक मैके के तत्वावधान में बुधवार को हिलटॉप स्कूल के एसेंबली हॉल में 5वीं से लेकर 11वीं तक के छात्रों की उपस्थिति में राणाप्रताप
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आपकी कहानी, उसको सुनाने का तरीका, और बालसुलभ आवाज़ ने मन मोह लिया | धन्यवाद और बधाई जादू के पापा मम्मी को की आज के अंग्रेजीदां ज़माने में जादू को इतनी अच्छी हिंदी सिखाई और उसमें कहानी कहने की कला भी | अगर हर माता पिता इस बात का इतना ही ध्यान रखें तो हिंदी दिवस मनाने की नौबत ही नहीं आएगी | जादू अपना ये हुनर इसी तरह आगे बढाएं अगले हफ्ते हम नई कहानी आपके मुंह से सुनाने का इंतज़ार बेहद उत्सुकता से करेंगे | स्नेहाशीष
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से खेले बनकर बच्चे अपनी कृति देखी जब फिर नाच उठा ये मन का मोर| संगणक के सुप्रयोग ने दिखाई नयी राहें हमें २०२५ में स्कूल की कल्पना में मचाया खूब शोर| गणित की पढाई ओ बंधू हमको तो बहुत ही भाई कहानी कहने की कला ने पकड़ा फिर और भी जोर| व्यायाम, योग और संगीत के बने प्रशंसक हम सभी थाठ, ताल और तोडे फिर कत्थक से चला नृत्य का दौर| देखे जो हमने तबले, सारंगी दुनिया हुई रंग-बिरंगी आंकलन का समय बीता चढ़ा फिर प्रदर्शन का जोर|-स्वप्ना (