हमारी पटी (पट्टी) में बड़की बहिनी गा रही हैं-ऊदल बेंदुल के चढ़वइया वीरन कहिया अउबा न.
32.
“तू कह तारू तो कहिया तोरे घरे आवत आनी”-मूल के साथ “सूद” वसूले क साज़िश रचत सरपंच (नरेंद्र पजवानी)
33.
टोलियों में चर्चा के विषय दो हैं, 'अबकी गाँव में फगुआ कैसे होई' और 'तोहरा किहा फगुआ कहिया बा?' फगुआ याने होली।
34.
विकास भवन के विभिन्न तलों पर फरियादी एक-दूसरे से पूछते नजर आए कि इ धरना कहिया ले चली, हमन के काम कइसे होई।
35.
रांझे नूं इस गल ते बड़ा ग़ुस्सा आया ते उस भाबी नूं धौल मार के कहिया जो तों इंज पिच्छे पै गई हैं जिवें ऊं नूं लेहा
36.
टोलियों में चर्चा के विषय दो हैं, ' अबकी गाँव में फगुआ कैसे होई ' और ' तोहरा किहा फगुआ कहिया बा? ' फगुआ याने होली।
37.
उनकी बिटिया हम अधेड़ लोगों की यह रास-लीला देख हँसती है, ” ठीक कइनी ह चाचा, कहिया से कहत रहली ह कि रउआ आइब त अबकी फगुआ ज़रूर खेलब।
38.
कहिया धरि कोंढ़ तोरैत रहब? आब तऽ बौआ वयस्क भऽ गेल छथि ; आबो तऽ किछु करथु कि सभ दिन पढ़ाई के नाम पर बापे के कमाई पर पुᆬटानी करैत रहताह ।
39.
उन्होंने आजादी की लड़ाई में योगदान दिया था और अंग्रेजी सत्ता के विरूद्ध आवज उठाई थी-` छोड़ द गोरकी के अब तू खुशामी बालमा एकर कहिया ले करब, गुलामी बालमा । '
40.
मैं स्टेशन पर खड़े किसी युवक से पूछता हूँ, “ कहिया बा फगुआ? सात के कि आठ के? ” उसका तपाक उत्तर है, ” जहिया मन करे, हमनी त दूनू दिन मनाईब।