9 / 7 में अल्लाह कहता है “ जिन लोगों ने तुम्हारे साथ ” खाना-ए-क़ाबा ” के पास सन्धि की थी और अगर वोह इस को क़ायम रखना चाहे तो तुम भी सन्धि को क़ायम रखो.
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कुरआन मजीद की इस आयत में स्पष्ट रूप से बता दिया गया है कि मर्द तथा स्त्री दोनों एक ही तरह के दो जीव हैं और दोनों जीवों की रचना का उद्देश्य मानव-जाति को बढ़ाना और उसके सिलसिले को क़ायम रखना है।
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डैनियल बेन्जामिन का कहना था, '' हालांकि आतंकवाद पर क़ाबू पाने के मामले में पाकिस्तान ने काफ़ी हद तक कामयाबी पाई है ख़ासकर तहरीक-ए-तालिबान के मामले, लेकिन इस सफलता को लंबे समय तक क़ायम रखना असल चुनौती है. ''
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बेहतर समाज के लिए हमें अपने स्वभाव और अपनी मान्यताओं के अंतर के बावजूद सबसे प्यार का रिश्ता बनाना होगा और अगर पहले से बना हुआ है तो उसे क़ायम रखना होगा और जो लोग इसे तोड़ने पर आमादा हैं उनसे संघर्ष करना होगा।
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हदीस के मसाइल में सरदारी की तलब को मना फ़रमाया गया इसके मानी यह है कि जब मुल्क में योग्य और सक्षम लोग हों और अल्लाह के आदेशों का क़ायम रखना किसी एक शख़्स के साथ ख़ास न हो, उस वक़्त सरदारी तलब करना मकरूह है.
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-))) अगर तूने दुष्मन के मुक़ाबले में ग़लबा इनायत फ़रमाया तो हमें ज़ुल्म से महफ़ूज़ रखना और हक़ के सीधे रास्ते पर क़ायम रखना और अगर दुष्मन को हम पर ग़लबा हासिल हो जाए तो हमें “ ाहादत का “ ारफ़ अता फ़रमाना और फ़ित्ना से महफ़ूज़ रखना।
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(जब) मुषरिकीन ने ख़ुद एहद षिकनी (तोड़ा) की तो उन का कोई एहदो पैमान ख़ुदा के नज़दीक और उसके रसूल के नज़दीक क्योंकर (क़ायम) रह सकता है मगर जिन लोगों से तुमने खानाए काबा के पास मुआहेदा किया था तो वह लोग (अपनी एहदो पैमान) तुमसे क़ायम रखना चाहें तो तुम भी उन से (अपना एहद) क़ायम रखो बेषक ख़ुदा (बद एहदी से) परहेज़ करने वालों को दोस्त रखता है (7) (उनका एहद) क्योंकर (रह सकता है)
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(जब) मुषरिकीन ने ख़ुद एहद षिकनी (तोड़ा) की तो उन का कोई एहदो पैमान ख़ुदा के नज़दीक और उसके रसूल के नज़दीक क्योंकर (क़ायम) रह सकता है मगर जिन लोगों से तुमने खानाए काबा के पास मुआहेदा किया था तो वह लोग (अपनी एहदो पैमान) तुमसे क़ायम रखना चाहें तो तुम भी उन से (अपना एहद) क़ायम रखो बेषक ख़ुदा (बद एहदी से) परहेज़ करने वालों को दोस्त रखता है (7) (उनका एहद) क्योंकर (रह सकता है)
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इमाम ज़ैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम ने भी हज़रत मुहम्मद मुसतफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम की यह रेवायत नक़ल फ़रमाई है कि आप ने फ़रमायाः जिसे यह ख़वाहिश है कि अल्लाह तआला उसकी उम्र में इज़ाफ़ा फ़रमा दे और उसके खुराक को वसी कर दे तो वह रिश्तेदारों से मिलना जुलना करे क्योंकि क़्यामत के दिन रहम को ज़बाले मानो दि जाएगी और वह अल्लाह की बारगाह में अरज़ करे गी, बारे इलाहा जिस ने मुझे जोड़ा तू उससे सम्पर्क क़ायम रखना और जिस ने मुझे क़ता किया तू भी उससे सम्पर्क तोड़ लेना।