तब साहिल खत्री ने अपने सिर पर कांच का गिलास मारा और खुद को चोट पहुंचाकर वकीलों और सब इंस्पेक्टर प्रहलाद सिंह ने जान से मारने का हमला करने के झूठे केस में राबिया को बंद कराने की धमकी दी...
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सूई-धागा, चाकू, कांच का गिलास, जिसमें भरी मिट्टी में आड़ू के बीज बोए गए हैं ; पतंगे, रंगीन कागज, पत्थर के अनेक किस्म के टुकड़े, कंप्यूटर की फ्लॉपी, गेंद और खेल-खेल में विज्ञान की किताब ।
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जिन्दगी कैसी पहेली है हाय...जिन्दगी की पहेली को जितना सुलझाने की कोशिश करते हैं उतना ही उलझा देती है...कहाँ से शुरू करें.... कांच का गिलास गिरा और छान से टूट गया..ये रिश्ते कितने नाजुक होते हैं...बहुत सही कहा आपने...
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तब साहिल खत्री ने राबिया को फंसाने के लिए अपने सिर पर कांच का गिलास मारा और वकीलों और सब इंस्पेक्टर प्रहलाद सिंह ने राबिया को जान से मारने का हमला करने के झूठे केस में बंद कराने की धमकी देकर शादी करने को मजबूर किया।
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तब साहिल खत्री ने अपने सिर पर कांच का गिलास मारा और खुद को चोट पहुंचाकर वकीलों और सब इंस्पेक्टर प्रहलाद सिंह की मदद से जान से मारने का हमला करने के झूठे केस में राबिया को बंद कराने की धमकी देकर शादी करने को मजबूर किया।
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फिल्मों की भाषा का इस्तेमाल करें तो एक फूल पर एक भ्रमर बैठा फूल के रस चूसने लगा कि दूध से भरा एक कांच का गिलास टेबल से छलककर फर्श पर आ गिरा और दूध की धार पूरे कमरे की फर्श पर फैल कर बह गई.
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कभी आप याद करके देखिए आपके बच्चे के हाथ से कांच का गिलास फिसलकर फर्श पर गिरा, आपने एक पल की देर किए बिना उसे तमाचा जड़ दिया, फर्श पर बिखरे कांच के टुकड़ों के साथ बच्चे की आंखों से टपकते आंसू भी घुलमिल गए।
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नेत्र-ज्योतिवर्धक:-एक कांच का गिलास पानी से भरकर नित्य रात को उसमे एक चम्मच पिसा हुआ आँवला दल दें | प्रातः बिना हिलाए आधा पानी छानकर उससे नेत्रों को धोये तथा बचा हुआ आधा पानी आँवले सहित पियें | इस तरह लगातार चार महीने सेवन करने से नेत्र ज्योति बढ़ जाएगी |
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नेत्र-ज्योतिवर्धक:-एक कांच का गिलास पानी से भरकर नित्य रात को उसमे एक चम्मच पिसा हुआ आँवला दल दें | प्रातः बिना हिलाए आधा पानी छानकर उससे नेत्रों को धोये तथा बचा हुआ आधा पानी आँवले सहित पियें | इस तरह लगातार चार महीने सेवन करने से नेत्र ज्योति बढ़ जाएगी |
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अपनी रचना प्रक्रिया की बात करते हुए वह कहती हैं, 'कभी-कभी गर्म चाय डालने से जैसे कांच का गिलास चटक जाता है, कुछ उसी से मिलता जुलता अनुभव मुझे तब होता है जब कोई वाक्य, किसी का कहा-सुना मुझे गहरे भेदकर मेरी पुख्ता जमीन को दरका जाता है और शब्दों का गर्म लावा फूटकर एकाएक सफेद पन्नों पर फैल जाता