| 31. | अरी डोक्को! पटर-पटर न करो! तुमें काए की जल्दी है?
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| 32. | रामवती दाल-भात, मुनगा भाजी, लाल मिर्च की चटनी काए रहती है।
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| 33. | ‘ अब तुम काए कै लानै खड़े..? भे न... के...
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| 34. | बा रोज काए रोउत पहलूं हम नादान भइया-बहन खें ओखौ रोबो एक रहस हतो।
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| 35. | अतीक भड़ई हमें पहचान गया और बोला “हरामियो काए तंग कर रए हो बुड्ढे को. ”
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| 36. | स्मृतियों से विच्छिन्न समाज के समक्ष अस्मिता काए पहचान का संकट उत्पन्न हो जाता है।
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| 37. | अतीक भड़ई हमें पहचान गया और बोला “हरामियो काए तंग कर रए हो बुड्ढे को. ”
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| 38. | फिर इते काए ऐसो भयो? बहुत दिमाग घूम रहो है कछु पल्ले नहीं पड़ रहो।
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| 39. | यह दुनिया भी बरसे कम्बल भीगे पानी जैसी है! टेंशन काए कू लेने का..
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| 40. | “प्रभुता पाए काए मद नाहीं” सरकार भी समाज की ही नज़रों से लोगों को देखने लगे तो.......?
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