प्रधानतंत्री ने कोई तवज्जो नहीं दी, उन्होंने जाकिट की जेब में से कान साफ करने की मैडीकेटेड बत्ती कान में डाल कर, एक ऑख मींचकर उसे धीरे धीरे घमाया तथा परोक्ष में बता दिया कि इस चर्चा से बेहतर उनके लिये कान का मैल निकालना है।
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सिर घूमता है जब, कान का मैल नहरों में होने के कारण इसके पीछे lags जड़ता और झुकता है जो किसी संरचना के ऊपर स्थित एक छोटी उल्टे प्याले के आकार की अथवा मेहराब की आकृति की टोपी, पर काम करता सिलिया बालों की कोशिकाओं की.
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2. कान से कम सुनाई दे रहा हो यद्यपि कान में किसी प्रकार का मैल नहीं होता है, कान बहुत सूखा हो और कान का मैल भी सूखा और काला हो तो लैकेसिस औषधि की 6 शक्ति, ग्रैफाइटिस या स्पंजिया औषधि की 3 X मात्रा का उपयोग कर सकते हैं।
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कन्डक्टिव डेफनेस के कारण कान का मैल या फंगस होना, कान का बहना, जिसकी वजह से कान का पर्दा फट जाता है और उसमें छेद हो जाता है, ओटोस्क्रोसिस जिसमें कान की अत्यंत सूक्ष्म हड्डी स्टेपीज और भी सूक्ष्म हो जाती है, जिसके कारण कम्पन आन्तरिक कान तक नहीं पहुंचता है, हो सकते हैं।
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कन्डक्टिव डेफनेस के कारण कान का मैल या फंगस होना, कान का बहना, जिसकी वजह से कान का पर्दा फट जाता है और उसमें छेद हो जाता है, ओटोस्क्रोसिस जिसमें कान की अत्यंत सूक्ष्म हड्डी स्टेपीज और भी सूक्ष्म हो जाती है, जिसके कारण कम्पन आन्तरिक कान तक नहीं पहुंचता है, हो सकते हैं।
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फिल्म के अंत की ओर बढ़ते हुए अचानक सिनेमा के पर्दे पर उभरने वाले उन पन्द्रह तस्वीरों की लड़ियों को याद कीजिए जिसमें डेली मार्केट जैसी जगह के स्टिल्स हैं, उन तस्वीरों में कौन लोग हैं इत्र बेचनेवाला, पौधे बेचनेवाला, जूते गाठनेवाला, मसक में पानी ढोनेवाला, रेलवे प्लेटफार्म पर चना-मूंगफली बेचनेवाला, गजरे का फूल बेचनेवाली, घरों में सजा सकनेवालों फूलों को बेचनेवाली, कान का मैल निकालनेवाला, चाकू तेज करनेवाला, मजदूर, पान बेचनेवाली, ताला की चाभी बनानेवाला, रेहड़ी और ठेला पर सामान खींचनेवाला, मछली बेचनेवाली आदि।
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एक जाजम, तमाम चांदनियां, यतीमख़ाने के चंदे की सन्दूक़ची, उसका फ़ौलादी ताला, यतीमख़ाने का काला बैनर, मुशायरे के अध्यक्ष का गाव-तकिया और आंखों पर लगा चश्मा, एक पटवारी के गले में लटकी हुई दांत कुरेदनी और कान का मैल निकालने की डोई, ख़्वाजा क़मरूद्दीन की जेब में पड़े आठ रुपये, इत्र में बसा रेशमी रूमाल और पड़ौसी की बीबी के नाम महकता ख़त (यही एक चीज थी जो दूसरे दिन बरामद हुई और इसकी नक़्ल घर-घर बंटी), हद ये कि कोई बदतमीज उनकी टांगों में फंसे चूड़ीदार का रेशमी नाड़ा एक ही झटके में खींचकर ले गया।
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एक जाजम, तमाम चांदनियां, यतीमख़ाने के चंदे की सन्दूक़ची, उसका फ़ौलादी ताला, यतीमख़ाने का काला बैनर, मुशायरे के अध्यक्ष का गाव-तकिया और आंखों पर लगा चश्मा, एक पटवारी के गले में लटकी हुई दांत कुरेदनी और कान का मैल निकालने की डोई, ख़्वाजा क़मरूद्दीन की जेब में पड़े आठ रुपये, इत्र में बसा रेशमी रूमाल और पड़ौसी की बीबी के नाम महकता ख़त (यही एक चीज थी जो दूसरे दिन बरामद हुई और इसकी नक़्ल घर-घर बंटी), हद ये कि कोई बदतमीज उनकी टांगों में फंसे चूड़ीदार का रेशमी नाड़ा एक ही झटके में खींचकर ले गया।
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फिल्म के अंत की ओर बढ़ते हुए अचानक सिनेमा के पर्दे पर उभरने वाले उन पन्द्रह तस्वीरों की लड़ियों को याद कीजिए जिसमें डेली मार्केट जैसी जगह के स्टिल्स हैं, उन तस्वीरों में कौन लोग हैं इत्र बेचनेवाला, पौधे बेचनेवाला, जूते गाठनेवाला, मसक में पानी ढोनेवाला, रेलवे प्लेटफार्म पर चना-मूंगफली बेचनेवाला, गजरे का फूल बेचनेवाली, घरों में सजा सकनेवालों फूलों को बेचनेवाली, कान का मैल निकालनेवाला, चाकू तेज करनेवाला, मजदूर, पान बेचनेवाली, ताला की चाभी बनानेवाला, रेहड़ी और ठेला पर सामान खींचनेवाला, मछली बेचनेवाली आदि।