लेकिन यहां वात्स्यायन कामात्मक भावनाओं को कलाओं में लगाने का परामर्श देते हैं ताकि काम-ऊर्जा का उर्ध्वीकरण हो सके।
32.
आप दो-चार-दस दिन, पंद्रह दिन काम-ऊर्जा को नष्ट न किये हों, फिर इस घड़ी पर ध्यान रखें।
33.
लेकिन ध्यान में जाने पर जब दमित काम-ऊर्जा बाहर कूद पड़ेगी, तो उसके रेचन के लिए तो दूसरा आवश्यक ही है।
34.
भीतर मत लो श्वास को क्योंकि जैसे ही तुम भीतर गहरी श्वास को लोगे, भीतर जाती श्वास काम-ऊर्जा को नीचे की तरफ धकाती है।
35.
भीतर मत लो श्वास को क्योंकि जैसे ही तुम भीतर गहरी श्वास को लोगे, भीतर जाती श्वास काम-ऊर्जा को नीचे की तरफ धकाती है।
36.
भीतर मत लो श्वास को क्योंकि जैसे ही तुम भीतर गहरी श्वास को लोगे, भीतर जाती श्वास काम-ऊर्जा को नीचे की तरफ धकेलती है।
37.
और यह काम-ऊर्जा जब भयंकर झंझावत की तरह अपने आदिम रूप में प्रकट होती है, तो न तो नियंत्रण काम देता है और न साक्षीभाव।
38.
एकदम स्टार्ट ही नहीं होती! और अगर तुम काम-ऊर्जा को मस्तिष्क तक ले भी गए, तो भी तुम इतने सोये हुए हो, इतने ही सोये हुए रहोगे।
39.
ऊर्जा के स् थानान् तरण का एक सम् भव उपाय है, मैं कहता हूं ‘ मात्र ' एक सम् भव उपाय है तुम् हारी काम-ऊर्जा द्वारा स् थानान् तरण।
40.
इसलिए ब्रह्मचर्य का जो उपयोग योग ने किया है, उसका कोई कामवासना से विरोध नहीं है, उसका केवल काम-ऊर्जा का एक अन्यथा उपयोग करना है ; एक विधायक उपयोग करना है।