सच तो यह है कि इस संदर्भ में लेखिका के आगे एक रुमानी कोहरा छाया है जो कार्य-कारण संबंध को भी ठीक से नहीं रेखांकित होने देता.
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इस जगत में ऐसे समस्त कार्य-व्यापारों और वस्तुओं का कोई न कोई कारण होता है, हर घटना का किसी न किसी चीज से कार्य-कारण संबंध होता है.
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विचित्र उलझन में है. अभी तर्क, कार्य-कारण संबंध जानता नहीं पर सहज बुद्धि की कमी नहीं उसमें! अपनी गाँठ न खोल पाओ तो उसे विकसने दो.
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हमारे पूर्वजों के बहुत से रहस्य हमने हल कर लिए हैं, और आज के बहुत से रहस्य कल के वैज्ञानिक हल कर देंगे।' प्रकृति की घटनाएं कार्य-कारण संबंध पर आधारित होती हैं।
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क्या है इस जन्म का कारण पं. किशोर घिल्डियाल कार्य-कारण संबंध दर्शन और विज्ञान का अकाट्य नियम है जो जीवात्मा की संपूर्ण यात्रा के संबंध में भी समान रूप से लागू होता है।
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जो सब कुछ होता है उस सब कुछ का कार्य-कारण संबंध हमें हमेशा पता लग जाता है क् या? एक आत् मा से दो लंबे हाथ बाहर निकलते हैं और दूसरी आत् मा के बाहर निकल आए हाथों को पकड़ लेते हैं।
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आज हम जहां हैं, वहां होने की तार्किकता, अपने आदि से कार्य-कारण संबंध तलाश कर, उसमें छूटे स्थानों को पूरी आस्था सहित लोक और जन से पूरित कर, यानि चेतना के स्तर पर अपने इतिहास से अपने वर्तमान का सातत्य पाकर हम वास्तविक अर्थों में मनुज कहलाने के अधिकारी हो सकते हैं।
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इसी संदर्भ में फ्रेडरिक जेम्सन ने मौजूदा दौर में मार्क्सवाद की चौथी थीसिस में लिखा है इस संरचनात्मक भ्रष्टाचार का नैतिक मूल्यों के संदर्भ में कार्य-कारण संबंध के रूप में व्याख्या करना भ्रामक होगा क्योंकि यह समाज के शीर्ष वर्गों में अनुत्पादक ढंग से धन संग्रह की बिलकुल भौतिक सामाजिक प्रक्रिया में उत्पन्न होती है।
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इसी संदर्भ में फ्रेडरिक जेम्सन ने मौजूदा दौर में मार्क्सवाद की चौथी थीसिस में लिखा है इस संरचनात्मक भ्रष्टाचार का नैतिक मूल्यों के संदर्भ में कार्य-कारण संबंध के रूप में व्याख्या करना भ्रामक होगा क्योंकि यह समाज के शीर्ष वर्गों में अनुत्पादक ढंग से धन संग्रह की बिलकुल भौतिक सामाजिक प्रक्रिया में उत्पन्न होती है।
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इसी संदर्भ में फ्रेडरिक जेम्सन ने मौजूदा दौर में मार्क्सवाद की चौथी थीसिस में लिखा है ‘‘ इस संरचनात्मक भ्रष्टाचार का नैतिक मूल्यों के संदर्भ में कार्य-कारण संबंध के रूप में व्याख्या करना भ्रामक होगा क्योंकि यह समाज के शीर्ष वर्गों में अनुत्पादक ढंग से धन संग्रह की बिलकुल भौतिक सामाजिक प्रक्रिया में उत्पन्न होता है।