8-9) में आर्यावर्त की यह प्रख्यात सीमा निर्धारित की गई है कि यह आदर्श (विनशन; सरस्वती के लोप होने का स्थान) के पूर्व, कालक वन (प्रयाग) के पश्चिम, पारियात्र तथा विंध्य के उत्तर और हिमालय के दक्षिण में है।
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8-9) में आर्यावर्त की यह प्रख्यात सीमा निर्धारित की गई है कि यह आदर्श (विनशन; सरस्वती के लोप होने का स्थान) के पूर्व, कालक वन (प्रयाग) के पश्चिम, पारियात्र तथा विंध्य के उत्तर और हिमालय के दक्षिण में है।
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बिल्कुल उसी दुनिया के असली चेहरे लगते हैं जहां कोयले की खदाने बंद तो हो चुकी हैं लेकिन उनकी कालक अब भी लोगों की जिंदगी में इस तरह शामिल है कि सुबह का उजाला भी मटमैला दिखता है.....
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वशिष्ठधर्मसूत्र (1.8-9) में आर्यावर्त की यह प्रख्यात सीमा निर्धारित की गई है कि यह आदर्श (विनशन; सरस्वती के लोप होने का स्थान) के पूर्व, कालक वन (प्रयाग) के पश्चिम, पारियात्र तथा विंध्य के उत्तर और हिमालय के दक्षिण में है।
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वशिष्ठधर्मसूत्र (1.8-9) में आर्यावर्त की यह प्रख्यात सीमा निर्धारित की गई है कि यह आदर्श (विनशन ; सरस्वती के लोप होने का स्थान) के पूर्व, कालक वन (प्रयाग) के पश्चिम, पारियात्र तथा विंध्य के उत्तर और हिमालय के दक्षिण में है।
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मंत्र 23-ऐ इन्सानो! जिस तरह जानवरों का काम जानने वाला मनुष्य जाहो हशमत के लिये बटेरों को प्रकाश के लिय कालक नाम जानवर को, विद्वानों की स्त्रियों के लिये गौओं को मारने वाले जानवरों और विद्वानों की बहनों के लिये कोलेक नाम के जानवरों और आग की मानिन्द वर्तमान और घर वालों की परवरिश करने के लिये राशन पक्षनों को हासिल करता है, उसी तरह तुम भी करो।