(१) प्रज्ञापराध: अविवेक (धीभ्रंश), अधीरता (धृतिभ्रंश) तथा पूर्व अनुभव और वास्तविकता की उपेक्षा (स्मृतिभ्रंश) के कारण लाभ हानि का विचार किए बिना ही किसी विषय का सेवन या जानते हुए भी अनुचित वस्तु का सेवन करना।
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(१) प्रज्ञापराध (सोशिओ-साइकोलोजीकल-मेन्टल अनियमिततायें)-अविवेक, अधीरता तथा पूर्व अनुभव और वास्तविकता की उपेक्षा के कारण लाभ हानि का विचार किए बिना ही किसी विषय का सेवन या जानते हुए भी अनुचित वस्तु का सेवन करना।
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परन्तु अनपढ़ (इल्लिटरेट) लोग जो आधुनिक अर्थ में शिक्षित कहलाते हैं, इन विषयों में सत्य का विचार किए बिना यूरोपीय स्त्रियों के बाहरी शब्दों की नकल करते हुए हिन्दू स्त्रियों के कष्ट के लिए हिन्दू धर्म को ही गाली देते हैं।
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आर्थिक व्यवस्था (औद्योगिक समाज) के भीतर हम पाते हैं कि प्रकृति द्वारा परिवर्तन हिंसक होते हैं, माँग का विचार किए बिना वस्तुओं की व्यापक पूर्ति उत्पन्न की जाती है तथा चतुर विज्ञापनों के साधनों द्वारा कृत्रिम रूप से वस्तुओं की मांग निर्मित की जाती है।
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आर्थिक व्यवस्था (औद्योगिक समाज) के भीतर हम पाते हैं कि प्रकृति द्वारा परिवर्तन हिंसक होते हैं, माँग का विचार किए बिना वस्तुओं की व्यापक पूर्ति उत्पन्न की जाती है तथा चतुर विज्ञापनों के साधनों द्वारा कृत्रिम रूप से वस्तुओं की मांग निर्मित की जाती है।
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घाटे नफे का विचार किए बिना आज भी पत्रकारिता की जा सकती है और हो भी रही है लेकिन इनकी संचारात्मक क्षमता, सामाजिक प्रभाव और पहुँच और जवाबदेह प्रशासन के निर्माण, परिवर्तन में इनकी भूमिका क्या और कैसी होगी इसे सहज ही जाना जा सकता है.
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विश्लेषण:-उपरोक्त चारों प्रकार के खाद्य पदार्थ यद्यपि सात्विक हैं, परन्तु इन्हे भी तलने, भूनने, अधिक पकाने, मात्रा से अधिक खा लेने, व्यक्ति की आवश्यकता एव्म प्रकृति के अनुकूल-प्रतिकूल का विचार किए बिना खा लेने पर सात्विक होते हुए भी राजस-तामस के प्रभाव वाले ही हो जाते हैं.
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इस ऐतिहासिक कार्य के बाद ही एसेम्बली ने सभी सदस्य देशों से अपील की कि वे इस घोषणा का प्रचार करें और देशों या प्रदेशों की राजनीतिक स्थिति पर आधारित भेदभाव का विचार किए बिना विशेषतः स्कूलों और अन्य शिक्षा संस्थाओं में इसके प्रचा र, प्रदर्शन और व्याख्या का प्रबंध करें।
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इस ऐतिहासिक कार्य के बाद ही एसेम्बली ने सभी सदस्य देशों से अपील की कि वे इस घोषणा का प्रचार करें और देशों या प्रदेशों की राजनीतिक स्थिति पर आधारित भेदभाव का विचार किए बिना विशेषतः स्कूलों और अन्य शिक्षा संस्थाओं में इसके प्रचा र, प्रदर्शन और व्याख्या का प्रबंध करें।
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इस ऐतिहासिक कार्य के बाद ही सभा ने सभी सदस्य देशों से पुनरावेदन किया कि वे इस घोषणा का प्रचार करें और देशों अथवा प्रदेशों की राजनैतिक स्थिति पर आधारित भेदभाव का विचार किए बिना, विशेषतः विद्यालयों और अन्य शिक्षा संस्थाओं में, इसके प्रचार, प्रदर्शन, पठन और व्याख्या का प्रबंध करें ।