कहाँ तो हम सोच रहे थे कि उतराई में तेजी से नीचे उतरते जायेंगे लेकिन उतराई के दौरान कच्ची सड़क कई जगह कीचड़ से लथपथ मिली किसी तरह बाइक पर उछलते कूदते हुए कीचड पार करते रहे, जहाँ थोड़ा सा भी समतल मिलता वही बाइक ऐसी भागती थी जैसे सात जन्मों से साच पास में कैद की गयी हो और आज इसे यहाँ से निकलने का मौका मिला हो।
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अब कल्पना कीजिए कि इतनी ही बड़ी तादाद में अपार्टमेंट में रहने, कार में घूमने और मोटी पगार पाने वाले एक नदी के किनारे कीचड़ से लथपथ उबड़खाबड़ तट पर जमा हों तो वहाँ का नज़ारा क्या होगा? ओह शिट...आउच...हाउ मेनी पीपुल... ओह इट्स सफ़ोकेटिंग...डिस्गस्टिंग...दरअसल,सुविधा में रहने वाले लोग इतने सुविधाग्रस्त हो जाते हैं कि ज़रा सी असुविधा उन्हें बुरी तरह बेचैन कर देती है, सुविधा शायद निकोटिन और क़ैफ़ीन से भी ज़्यादा एडिक्टिव है.
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भिनभिनाती मखियाँ कुलबुलाते कीडे सूँघते कुत्ते कचरादान के गर्भ मे कीचड़ से लथपथ फिर से पनपी एक नासमझ जिन्दा लाश छोटे-छोटे हाथों से मृत्यु देवी को धकेलती न जाने कहाँ से आया दुबले-पतले हाथों में इतना बल कि हो गए इतने सबल जो रखते है साहस मौत से भी जूझने का शायद यह बल वह अहसास है माँ के पहले स्पर्श का वह अहसास है माँ की उस धड़कन का जो कोख मे सुनी थी चीख-चीख कर कहती है नन्ही सी कोमल काया....
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अज्ञात कन्या का मर्म भिनभिनाती मखियाँ कुलबुलाते कीडे सूँघते कुत्ते कचरादान के गर्भ मे कीचड़ से लथपथ फिर से पनपी एक नासमझ जिन्दा लाश छोटे-छोटे हाथों से मृत्यु देवी को धकेलती न जाने कहाँ से आया दुबले-पतले हाथों में इतना बल कि हो गए इतने सबल जो रखते है साहस मौत से भी जूझने का शायद यह बल वह अहसास है माँ के पहले स्पर्श का वह अहसास है माँ की उस धड़कन का जो कोख मे सुनी थी चीख-चीख कर कहती है नन्ही सी कोमल काया....