| 31. | नवधा भक्ति के स्वर्णिम प्रसंग सुनाते हुए मुनि जी ने कहा कि कपट रहित प्रभु का कीर्तन करना चतुर्थ भक्ति है।
|
| 32. | इसके इलावा उनकी जिंदगी गुरू के सहारे थी और कीर्तन करना नाम जपना वंड के छकना उनके जीवन का नियम था।
|
| 33. | रात के समय जागरण करके माता पार्वती और भोले शंकर की कथा एवं भजन कीर्तन करना चाहिए व भैरव जी (
|
| 34. | दिन के वक्त देवी पार्वती और भगवान भोले नाथ का भजन कीर्तन करना चाहिए और उन्हीं में मन को लगाना चाहिए.
|
| 35. | पहले वह दूसरों के यहां कीर्तन सुनने जाते थे पर अब उन्होंने अपने मंदिर में ही खुद कीर्तन करना शुरू कर दिया।
|
| 36. | आप वहाँ खड़े हो जाना और अखण्ड कीर्तन करना शुरू करना, रामायण पढ़ना शुरू करना और यह कहना कि सुअर भगवान जी, बाराह भगवान जी।
|
| 37. | इसलिए सबको इस रात को जागरण करना चाहिए अर्थात जहाँ तक संभव हो सोना नही चाहिए और इस पवित्र रात्रि में जप, ध्यान, कीर्तन करना चाहिए ।
|
| 38. | रात के समय जागरण करके भोले शंकर एवं माता पार्वती जी की कथा एवं भजन कीर्तन करना चाहिए तथा भैरव जी कथा का श्रवण-मनन करना चाहिए.
|
| 39. | रात के समय जागरण करके भोले शंकर एवं माता पार्वती जी की कथा एवं भजन कीर्तन करना चाहिए तथा भैरव जी कथा का श्रवण-मनन करना चाहि ए.
|
| 40. | इसलिए सबको इस रात को जागरण करना चाहिए अर्थात जहाँ तक संभव हो सोना नही चाहिए और इस पवित्र रात्रि में जप, ध्यान, कीर्तन करना चाहिए ।
|