तो वो शोभित को कुछ नहीं बताना चाहती थी, उसमें इस बात की हिम्मत तो थी कि सब कुछ अकेले संभाल ले पर फिर से अंधेरे कूंए में जाने की ताक़त नहीं थी.
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मैं सब कुछ भूल कर बोलने लगा-प्लीज़ मैडम, मुझे माफ़ कर दो, मैं अब से रोज़ कॉलेज आऊँगा, फिर कभी बंक नहीं मारूँगा, पर आप घर में कुछ नहीं बताना!
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तीन दिनों तक पीटने के बाद भी इसका जवाब नहीं मिला तो एस टी एफ ने २ ७ अक्टूबर उन्हें इस हिदायत के साथ सड़क किनारे फेक दिया कि “ किसी को कुछ नहीं बताना. ”
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मैं अपने स्वास्थ्य के सम्बंध में ज्यादा कुछ नहीं बताना चाहता लेकिन मुझे विश्वास है कि मेरा विस्तृत परिवार मुझे ऐसा कराने देगा।“ अमिताभ ने कहा था, ”सीटी स्कैन जांच में पेट में तकलीफ का पता चला, तब सर्जरी के लिए सहमति दी गई..
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दिनों-दिन और फिर सालों साल कलंडर के दिन और साल बदलते रहें और हर साल की ५ अक्टूबर मेरे और मेरे परिवार के लिए हमेशा ही मायूसी लेकर आता है | इस दिन मैं अपने घर (शादी के बाद ससुराल में) होते हुए भी, अपने मन से अपने पापा के साथ ही होती हूँ | आज भी अतीत की वो घटना कभी कभी मुझ पर सपनों में हावी हो कर डरा जाती है | आज भी चुपके से रों लेना, किसी को कुछ नहीं बताना, ये मेरी आदत है |