' सत्यम शिवम् सुन्दरम ' और ' सत्यमेव जयते ' कह गए हमारे पूर्वज और गंगाधर, चंद्रशेखर आदि शिव को नटराज भी जो शून्य एमिन अपने एक पुर पर अनादी काल से नृत्य कर्त्ते आ रहे हैं और मानव उनकी चरण की धुल, अपस्मरा पुरुष जिसे अपने भूत का कुछ भी नहीं पता है... इत्यादि इत्यादि...
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हिन्दी ब्लॉगिंग करते हुए जो खतरे हमें उठाने चाहिए, अभी तक हम नहीं उठा रहे हैं और उसके बाद वो पूरी बातचीत को सामाजिक सरोकार और प्रतिबद्ध लेखन की ओर मोड़ना चाह रहे थे, महज दो मिनट के भीतर उन्हे दबाब में आकर बात खत्म करनी पड़ गयी लेकिन वही दूसरे सत्र में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी प्रोफेसर इस बात की घोषणा करते हुए भी कि उन्हें ब्लॉग के बारे में कुछ भी नहीं पता है, करीब पच्चीस मिनट तक बोल गए।
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हर मैं आप सूरज की किरणों को देख अपने बालों में स्ट्रीमिंग रहे हैं लहरों सोचा और आकाश में हर स्टार एक रोशनी की तरह तुम्हारी आँखों पर उद्देश्य ले जा रहा है मेरे दिल की धड़कन एक ड्रम है और वह खो दिया है, और यह आप की तरह एक लय के लिए देख रहा है आप रात के गड्ढे में अंधेरा और एक बीकन में बारी जल कर सकते हैं बेहद उज्ज्वल मैं यह कारण मैं सब कुछ अच्छी तरह से यह कुछ भी नहीं पता है जब तक मैं इसे आप को दे का पालन होगा