| 31. | थोड़ी देर के लिए कुलीना सुंदरता के मद से फूल उठी।
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| 32. | कुलीना-क्यों कर? राजा-हरदौल के खून से।
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| 33. | थोड़ी देर के लिए कुलीना सुंदरता के मद से फूल उठी।
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| 34. | कुलीना ने स्वयं भोजन बनाया था, स्वयं थाल परोसे थे और
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| 35. | यह कह कर वह चली गई, परंतु कुलीना वहाँ से न उठी।
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| 36. | कुलीना ने स्वयं भोजन बनाया था, स्वयं थाल परोसे थे और स्वयं ही
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| 37. | कुलीना ने जी कड़ा करके कहा, “महाराज, कैसे आऊँ? मैं अपनी जगह क्रोध
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| 38. | कुलीना-निस्संदेह मुझसे अपराध हुआ है, पर एक अबला आपसे क्षमा का
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| 39. | यह कह कर वह चली गई, परंतु कुलीना वहाँ से न उठी।
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| 40. | कुलीना-तो अब क्या करना होगा? हरदौल-मैं स्वयं इसी सोच में हूँ।
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