परन्तु इस प्रकरण में ऐसी कोई साक्ष्य नही हैं कि किसी भी दस्तावेज को बदनियति से कूटकृत किया हो अतः धारा 467, 468,477ए सपठित धारा 120-बी भारतीय दण्ड संहिता के आरोप से हमीरा दोषमुक्त किये जाने योग्य है।
32.
उनका यह भी तर्क हैं कि अशोक चौधरी का किसी भी अन्य अभियुक्तगण से अपराधिक षडयन्त्र होने की कोई साक्ष्य नही हैं तथा मस्टर रोल, मापपुस्तिका या वाउचर्स को कूटकृत करने की कोई साक्ष्य पत्रावली पर नही है।
33.
हमने नजीरों के विवेचन के तहत यह देख चुके हैं कि अधिकांश नजीरे वर्तमान प्रकरण पर लागू नहीहोती हैं तथा हमें यह देखना हैं कि क्या अभियुक्त रामकिशोर द्वारा जारी आदेश प्रदर्श पी. 1 व प्रदर्श पी. 12 कूटकृत दस्तावेज हैं।
34.
इसी के सम्बन्ध में, उन्होंने अपने तर्क के समर्थन में उपर वर्णित नजीर संख्या 7 पेश की हैं परन्तु इस नजीर में यह निर्धारित नहीं किया गया हैं कि कोई भी व्यक्ति स्वंय द्वारा पारित आदेश को कूटकृत नही कर सकता हैं।
35.
परन्तु किसी भी कूटकृत दस्तावेज या दस्तावेज कूटकृत करने का मामला या उसे प्रयोग में लाने का मामला भी सामने नही लाया गया हैं अतः धारा 467, 468 सपठित धारा 120बी भारतीय दण्ड संहिता के आरोपो से दोनों अभियुक्तगण दोषमुक्त किये जाने योग्य है।
36.
परन्तु किसी भी कूटकृत दस्तावेज या दस्तावेज कूटकृत करने का मामला या उसे प्रयोग में लाने का मामला भी सामने नही लाया गया हैं अतः धारा 467, 468 सपठित धारा 120बी भारतीय दण्ड संहिता के आरोपो से दोनों अभियुक्तगण दोषमुक्त किये जाने योग्य है।
37.
परन्तु किसी भी कूटकृत दस्तावेज या दस्तावेज कूटकृत करने का मामला या उसे प्रयोग में लाने का मामला भी सामने नही लाया गया हैं अतः धारा 467, 468 सपठित धारा बी भारतीय दण्ड संहिता के आरोपो से दोनों अभियुक्तगण दोषमुक्त किये जाने योग्य है।
38.
परन्तु किसी भी कूटकृत दस्तावेज या दस्तावेज कूटकृत करने का मामला या उसे प्रयोग में लाने का मामला भी सामने नही लाया गया हैं अतः धारा 467, 468 सपठित धारा बी भारतीय दण्ड संहिता के आरोपो से दोनों अभियुक्तगण दोषमुक्त किये जाने योग्य है।
39.
इस प्रकरण में अनुसन्धानकर्ता इस नतीजे पर पहूच चुका था कि लाभार्थी ने न तो आवेदन पेश किया हैं और न ही भुगतान उठाया हैं तो इस बारे में उसने कोई अनुसन्धान क्यों नही किया कि यह आवेदन किसके द्वारा कूटकृत किया गया है।
40.
अभियोजनका भी यह नही कहना हैं कि यह आवेदन जोरा के बजाय किसी अन्य व्यक्ति ने विकास अधिकारी के सामने पेश किया हो तथा ऐसे किसी व्यक्ति का अनुसन्धान से पता नहीं लगाया गया है जिसने जोरा के स्थान पर उसका अंगूठा कूटकृत किया हो।