| 31. | (3) अकृतक त्रैलोक्य-कृतक और महर्लोंक के बाद जन, तप और सत्य लोक तीनों अकृतक लोक कहलाते हैं।
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| 32. | अध्याय 17 के श्लोक 27 आदि में यांत्रिक (कृतक या मानव निर्मित) विमानों के 25 भेद बतलाए गए हैं।
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| 33. | महर्लोक कृतक और अकृतक लोकों के मध्य में है, और कल्पान्त में यह केवल जनशून्य हो जाता है, नष्ट नहीं होता है।
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| 34. | महर्लोक कृतक और अकृतक लोकों के मध्य में है, और कल्पान्त में यह केवल जनशून्य हो जाता है, नष्ट नहीं होता है।
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| 35. | कृतक विमानों में ‘ शकुन ', ‘ सुन् दर ' और ‘ रूक् म ' सहित 25 प्रकार के विमान दर्ज हैं।
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| 36. | हिन्दू धर्म में विष्णु पुराण के अनुसार, कृतक त्रैलोक्य-भूः, भुवः और स्वः-ये तीनों लोक मिलकर कृतक त्रैलोक्य कहलाते हैं।
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| 37. | हिन्दू धर्म में विष्णु पुराण के अनुसार, कृतक त्रैलोक्य-भूः, भुवः और स्वः-ये तीनों लोक मिलकर कृतक त्रैलोक्य कहलाते हैं।
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| 38. | हिन्दू धर्म में विष्णु पुराण के अनुसार, कृतक त्रैलोक्य-भूः, भुवः और स्वः-ये तीनों लोक मिलकर कृतक त्रैलोक्य कहलाते हैं।
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| 39. | हिन्दू धर्म में विष्णु पुराण के अनुसार, कृतक त्रैलोक्य-भूः, भुवः और स्वः-ये तीनों लोक मिलकर कृतक त्रैलोक्य कहलाते हैं।
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| 40. | ब्रह्मांड का विभाजन या भेद: पुराणों ने ब्रह्मांड को मूलत: तीन भागों में विभक्त किया है:-(1) कृतक त्रैलोक्य (2) महर्लोक (3) अकृतक त्रैलोक्य।
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