ये बात ठीक है कि पुराणकथा का दर्जा पा चुकी हरित क्रांति ने देशवासियों में भरोसा जगाया कि पेट भरने के लिए विदेशों का मुंह देखने की जरुरत नहीं है लेकिन इस पुराणकथा की सफलता की कहानी उन्हीं इलाकों में लिखी जा सकी जहां सिंचाई की सुविधा है और आकार के हिसाब से देखें तो हरित क्रांति के हिस्से में देश की कुल कृषि-योग्य भूमि का लगभग एक तिहाई हिस्सा आता है।